प्रधानमंत्री ने रांची में बने भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का ऑनलाइन उदघाटन किया
रांची। अमर शहीद भगवान बिरसा मुंडा (Birsa Munda) की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ऑनलाइन माध्यम से बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उदघाटन किया। इस मौके पर रांची में आयोजित समारोह में राज्यपाल रमेश बैस (ramesh bais) , मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) समेत अन्य अतिथि उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की लड़ाई जल, जंगल और जमीन की रक्षा और भारत की आजादी के लिए थी और उनके संघर्ष के सामने अंग्रेजों ने भी घुटने टेक दिये। प्रधानमंत्री ने कहा कि धरती आबा बिरसा मुंडा ने जनजातीय समाज की पहचान मिटाने की कोशिश के खिलाफ संघर्ष किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे थे, ठीक उसी दौरान बिरसा मुंडा ने गुलामी के खिलाफ लड़ाई का इतिहास लिख दिया था। धरती आबा बहुत लंबे समय तक इस धरती पर नहीं रहे थे, लेकिन उन्होंने जीवन के छोटे से कालखंड में देश के लिए एक पूरा इतिहास लिख दिया, भारत की पीढ़ियों को दिशा दे दी। भगवान बिरसा ने समाज के लिए जीवन जिया, अपनी संस्कृति और अपने देश के लिए अपने प्राणों का परित्याग किया। आधुनिकता के नाम पर विविधता पर हमला, प्राचीन पहचान और प्रकृति से छेड़छाड़, भगवान बिरसा मुंडा जाते थे कि ये समाज के कल्याण का रास्ता नहीं है, वो आधुनिक शिक्षा के पक्षधर थे, वे बदलावों की वकालत करते थे, उन्होंने अपने ही समाज की कुरीतियों के कमियों के खिलाफ बोलने का साहस दिखा। उन्होंने झारखंड के अन्य स्वतंत्रता सेनानियां सिद्धो-कान्हू, तेलंगा खड़िया, विश्वनाथ शाहदेव, नीलाम्बार-पिताम्बर समेत अन्य शहीदों को याद करते हुए युवाओं, विशेषकर जनजातीय युवाओं से अपील की कि वे धरती से जुड़े है, अपनी मिट्टी के इतिहास को पढ़ते है, उसे देखते-सुनते है और जीते हैं, इसलिए वे शोध करें, किताब लिखे और जनजातीय कला-संस्कृति को देश के जन-जन तक पहुंचाने का काम करें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के इस अमृतकाल में देश ने तय किया है कि भारत की जनजातीय परंपराओं को, इसकी शौर्य गाथाओं को देश अब और भी भव्य पहचान देगा। इसी क्रम में ऐतिहासिक फैसला लिया गया कि आज से हर वर्ष देश 15 नवंबर यानी भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाएगा। उन्होंने कहा कि आज के ही दिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण झारखंड राज्य भी अस्तित्व में आया था। वाजपेयी ने ही सबसे पहले अलग आदिवासी मंत्रालय का गठन कर आदिवासी हितों को देश की नीतियों से जोड़ा था।
नरेंद्र मोदी ने रांची स्थित पुराना जेल परिसर में बने भगवान बिरसा मुंडा स्मृति संग्रहालय को राष्ट्र को समर्पित करते हुए बताया गया कि यहां भगवान बिरसा मुंडा ने अंतिम सांस ली थी, संग्रहालय में जनजातीय नायक-नायिकाओं की आजादी की लड़ाई में योगदान को ना सिर्फ दर्शाया है, बल्कि जनजातीय संस्कृति को भी जीवंत रूप से दर्शाया गया है। देश के अन्य राज्यों गुजरात, छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, मणिपुर, मिजोरम और गोवा में भी स्मारक बनकर तैयार हो रहा है।
इससे पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने संबोधन में कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने जल, जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा कि कई वीर सपूत है, जिनके नाम को आगे ले जाने की जरूरत हैं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने ऑनलाइन उदघाटन के लिए प्रधानमंत्री के प्रति आभार जताया।
More Stories
झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र 5 को
कैबिनेट का फैसला, 50 हजार सहायक शिक्षकों के पद सृजन को मिली मंजूरी
संस्कृति, विरासत और धरोहरों को लेकर आत्मसम्मान और गौरव का केंद्र बना नवरत्नगढ़ का किला