January 12, 2025

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बाबूलाल गयो…. सुनने के बाद भी स्पीकर के न्यायाधिकरण ने क्यों नहीं की कार्रवाई-बीजेपी

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बीजेपी ने कहा कि बाबूलाल मरांडी पर स्पीकर के न्यायाधिकरण में फैसला आने से पहले ही सत्ता पक्ष ने सुना दिया फैसला
रांची। झारखंड प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के दलबदल मामले में स्पीकर के न्यायाधिकरण में सुनवाई पूरी और निर्णय आने के पहले ही सत्तापक्ष के सदस्यों ने फैसला सुनाया है।
प्रतुल शाहदेव ने गुरुवार को एक वीडियो जारी करते हुए बताया कि सत्तापक्ष ने ठान लिया है है कि ऐन-केन-प्रकारण बाबूलाल मरांडी की विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी। उन्होंने इससे संबंधित वादी और पूर्व माले विधयक राजकुमार यादव द्वारा 16 सेकेंड का एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि इसके वायरल होने के बावजूद न्यायाधिकरण की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गयी।
प्रतुल शाहदेव ने कहा कि कानून के सबसे पुराने सिद्धान्तों में से एक है कि सिर्फ न्याय होना ही नही चाहिए बल्कि ऐसा प्रतीत होना चाहिए कि न्याय हुआ है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने 17 जुलाई 2020 को प्रोजेक्ट भवन में पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि भाजपा विपक्ष के नेता के पद के लिए तरस जाएगी। उस समय भी मामला स्पीकर के न्यायाधिकरण में लंबित था और ऐसा लगा कि मुख्यमंत्री स्पीकर के न्यायाधिकरण पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे है ।
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि स्पीकर के न्यायाधिकरण ने मामले पर स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई शुरू कर दी जिसे उच्च न्यायालय ने बाद में रोक दिया। फिर आनन-फानन में समय सीमा खत्म होने के बाद सत्ता पक्ष के कुछ विधायकों से भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के खिलाफ याचिका न्यायाधिकरण में दाखिल की गई। प्रतुल शाहदेव ने कहा कि 17 मई 2022 को स्पीकर के न्यायाधिकरण में मामले की सुनवाई के दौरान पिटीशनर राजकुमार यादव यह कहते हुए दिख रहे हैं कि….बाबूलाल गयो, जजमेंट हो गयो। उन्होंने ने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मुद्दई भी वही और अदालत भी वही। जजमेंट आने से पहले ही वादी को पता है कि जजमेंट क्या आने वाला है। यह घटना स्पीकर के न्यायाधिकरण के सुनवाई के दौरान घटित हुआ जिसे झारखण्ड विधानसभा टीवी ने भी प्रसारित किया।
प्रतुल शाहदेव ने कहा कि स्पीकर को इस पूरे मामले पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए पर वो इस विषय पर बचते हुए दिख रहे है। यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नही है। स्पीकर का न्यायाधिकरण एक स्वतंत्र इकाई होता है पर राज्य में ऐसी धारणा बन रही है कि सारा कुछ राज्य सरकार के लिखे हुए स्क्रिप्ट पर घटित हो रहा है।

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