रांची। भारत निर्वाचन आयोग में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्वाचन अहर्ता मामले की सुनवाई मंगलवार को हुई। सीएम हेमंत सोरेन की ओर से मामले में समय देने का आग्रह किया गया, वहीं बीजेपी की ओर से पक्ष रखा गया। मामले में अगली सुनवाई की तिथि 14 जुलाई को निर्धारित की गयी है।
आयोग के अवर सचिव प्रकाश चंद्र गुप्ता ने इस संबंध में शिकायतकर्ता करनेवाली भाजपा और राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को सूचना दी गयी है। चुनाव आयोग में सीएम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने सीएम का पक्ष रखते हुए समय मांगा था, जिस पर आयोग ने इस पर कड़ी नाराज़गी जताई । उधर मामले पर भाजपा की तरफ से वरीय अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने पक्ष रखा।
इससे पहले चुनाव आयोग ने आज भाजपा की शिकायत पर मुख्यमंत्री को अपना पक्ष रखने की अंतिम मोहलत दी थी। यह सुनवाई पिछले 20 मई के बाद 31 मई और फिर 14 जून को टल चुकी है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने 14 जून को कहा था कि अब इस मामले में सीएम हेमंत सोरेन को और वक्त नहीं दी जायेगी, परंतु सीएम हेमंत सोरेन को पक्ष रखने के लिए एक और मौका दे दिया गया है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्वाचन अर्हता से जुड़े इस मामले में झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस के रेफरेंस केस 3 (जी) ऑफ 2022 के तहत निर्वाचन आयोग को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता समाप्त करने पर सुझाव मांगा गया था। हेमंत सोरेन झारखंड के बरहेट से निर्वाचित हुए हैं। भाजपा ने शिकायत की थी कि ऑफिस ऑफ प्रोफिट के तहत उन्होंने स्टोन माइंस खदान आवंटित कराया था। बीजेपी ने हेमंत सोरेन पर ऑफिस ऑफ प्रोफिट और लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा (9) के तहत हेमंत सोरेन पर वर्ष 2019 के चुनाव में जानकारी छिपाने का आरोप लगाया था।
बसंत सोरेन के मामले में चुनाव में सुनवाई अब 15 को
निर्वाचन आयोग में विधानसभा सदस्य बसंत सोरेन की निर्वाचन अहर्ता मामले पर अब 15 जुलाई को सुनवाई होगी। आयोग की तरफ से बसंत सोरेन की सदस्यता समाप्त करनेवाले शिकायती पत्र पर अगली तिथि मुकर्रर की गयी है।
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