December 13, 2025

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पहाड़ को काट कर सड़क बनाने के लिए ग्रामीण कर रहे है श्रमदान

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दो गांव के लोगों ने श्रमदान कर आधी किमी सड़क बनायी, अभी साढ़े चार किमी बननी बाकी
जमशेदपुर(Jamshedpur)। माउंटन मैन दशरथ मांझी से प्रेरणा लेकर (Inspired by Mountain Man Dashrath Manjhi) पूर्वी सिंहभूम जिले के नक्सल प्रभावित डुमरिया प्रखंड के बढ़आकोचा गांव के ग्रामीण भी पहाड़ काट कर श्रमदान के माध्यम से सड़क (build a road by cutting the mountain)बनाने में जुटे है। सरकार और स्थानीय प्रशासन की उदासीनता से खिन्न दो गांव के ग्रामीण मिलकर एक सप्ताह में दो दिन श्रमदान से सड़क बनाने के अभियान में जुटे है और अब तक करीब आधा किलोमीटर तक सड़क बन चुकी है, जबकि करीब चार किमी लंबी सड़क अभी बनानी बाकी है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार नक्सल फोकस एरिया डुमरिया प्रखंड का बढआकोचा गाव और मुसाबनी प्रखंड के सरहुदा गांव दोनो पहाडों की चोटी पर बसा है । बढआकोचा गांव के ग्रामीणों की मजबूरी यह है कि उन्हें सरहुदा गांव से ही मुसाबनी प्रखंड से आना-जाना होता है । लेकिन सड़क नही होने के कारण अबतक गांव का विकास नही हो पाया है । बढआकोचा गांव के ग्रामीणों को डुमरिया प्रखंड का दंश झेलना पड़ रहा है , जिससे अबतक गांव में ना ही बिजली, ना ही सड़क और ना ही पीने को पानी है । गांव में करीबन 15 परिवार रहते है । किसी तरह से कोई मदद नही मिलने पर बढआकोचा गांव के ग्रामीणों ने सरहुदा गांव के ग्रामीणों की मदद से अब सड़क बनाना शुरू किया है । बढआकोचा गांव से मुख्य सड़क तक करीबन पांच किलो मीटर लंबी सड़क बनानी है । पहाडों को काट कर ग्रामीणों ने बीते माह से श्रमदान से सड़क बनाने का काम शुरू किया है , जो अबतक आधा किलो मीटर तक ही बन पाया है ।


ग्रामीणों का कहना है कि सड़क नही होने के कारण सरकारी अधिकारी कहते है कि गांव कैसे पहुंचे , इसलिये वे पहाडों को काट कर सरकारी अधिकारी के लिये रास्ता बना रहे है ताकि गांव में बिजली, पानी और सड़क जैसी सुविधा मिल सके। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में एक भी पीएम आवास नही है । इसके साथ मनरेगा को लेकर कोई गांव में कोई रोजगार नही मिलता है । गांव के लोग जंगल की सुखी लकड़ी और साल के पत्ते को बेच कर ही अपना गुजारा करते है । सड़क के लिये कई बार आवाज उठायी , लेकिन कुछ नही हुआ तो खुद से गांव में बैठक कर पहाड को काट कर सड़क बनाने का फैसला लिया है , जबतक पूरी सड़क नही बन जाती है तबतक वे श्रमदान से सड़क बनाते रहेंगे । इसमें लंबा समय लगेगा लेकिन ग्रामीणों हताश नही है । बस लगन है तो सड़क को पूरा बनाने की ।

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