एमबीबीएस के साथ होमियोपैथिक और आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज को भी मिली मान्यता
रांची। झारखंड (Jhanrkhand) का पहला निजी मेडिकल कॉलेज (medical college) शुरू हो गया है। रामचन्द्र चन्द्रवंशी विश्वविद्यालय के तहत लक्ष्मी चन्द्रवंशी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल को मान्यता दी गयी है। एनएमसी ने चालू शैक्षणिक सत्र में एमबीबीएस की 100 सीटों पर नामांकन की अनुमति प्रदान कर दी है। अधिसूचना जारी होते ही एमबीबीएस के छात्रों का नामांकन शुरू हो गया है। इसके साथ ही रामचन्द्र चन्द्रवंशी विश्वविद्यालय के तहत होमियोपैथिक एवं आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों को भी मान्यता मिल गयी है। होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज में 100 सीटों पर तथा आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में 60 सीटों पर नामांकन की अनुमति प्रदान की गयी है।
राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सह विश्रामपुर विधायक रामचन्द्र चन्द्रवंशी ने रविवार को रांची के आईएमए भवन में एक पत्रकार वार्ता में बताया कि वह मजदूर का बेटा हैं। उनकी मां मजदूरी करती थी, लेकिन उनकी मां की इच्छा थी कि समाज में शिक्षा का विकास हो तथा शिक्षा सभी लोगों तक पहुंचे। अपनी मां के सपने को उन्होंने अपना सपना बनाया तथा उसे पूरा करने के लिए ही मेडिकल कॉलेज की शुरुआत की है। अब उनका सपना पूरा हो गया है। इसके लिए उन्होंने तीन वर्ष पूर्व प्रक्रिया शुरू की थी। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज में नामांकन नीट से चयनित छात्रों का ही होगा। सभी छात्रों नामांकन तथा फी का निर्धारण सरकारी नियमानुसार होगा। इसमें प्रबंधन का कोई कोटा नहीं है। चन्द्रवंशी ने कहा कि पलामू जैसे पिछड़े जिले में नामांकन का लाभ वहां के लोगों को मिलेगा। पलामू के किसी गरीब का कोई बेटा या बेटी यदि नीट से चयनित हो कर आते हैं, तो उनकी पढ़ाई सस्ती हो जायेगी, क्योंकि उनके छात्रावास का खर्च कम हो जायेगा। इसके लिए छात्रवृत्ति का भी सरकारी प्रावधान है।
चन्द्रवंशी ने कहा कि विश्वविद्यालय ने 150 सीटों पर एमबीबीएस की पढ़ाई की व्यवस्था की है। 150 सीटों पर नामांकन की अनुमति मांगी गयी थी, लेकिन पलामू जिले का सुदूर क्षेत्र होने के कारण अस्पताल में मरीजों की संख्या अभी कम है। इस कारण 100 सीटों पर ही नामांकन की अनुमति मिली है। मरीजों की संख्या बढ़ते ही 150 सीटों पर नामांकन की अनुमति मिल जायेगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एलोपैथ, होमियोपैथ एवं आयुर्वेद की पढ़ाई विश्वविद्यालय परिसर में ही होगी। तीनों के अलग-अलग भवन एवं अस्पताल बन कर तैयार हैं। एक ही परिसर में यह सुविधा मिलना पलामू ही नहीं, झारखंड के लिए भी गर्व की बात है।
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