मिट्टी खनन के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति की अनिवार्यता बढ़ायी मुश्किल
रांची। झारखंड के विभिन्न जिलों में करीब 2500 ईट भठ्ठा संचालित है और इन ईट भठ्ठों में लगभग 3 लाख मजदूर कार्यरत हैं, लेकिन मिट्टी खनन के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति की अनिवार्यता से इनकी मुश्किलें बढ़ गयी है ।
ईट भठ्ठों में कार्यरत मजदूरों का आधिकारिक आकड़ा तो नहीं मिल पाया है, लेकिन इस क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य भर जिस तेजी से निर्माण कार्य हो रहा है,उसके मद्देनजर 2500 से अधिक ईट भठ्ठे संचालित होंगे। खान एवं भतत्व विभाग द्वारा बताया गया है कि राज्य में सूक्ष्म-लघु ग्रामीण उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संचालित ईट भठ्ठों में प्रयुक्त होने वाली मिट्टी के खनन के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति की अनिवार्यता को समाप्त करने पर विचार किया जा जा रहा हैं।
बताया गया है कि केंद्रीय अधिनियम द माइंस एंड मिनरल्स डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट 1957 के नियम 15 के तहत लघु खनिज के संबंध में नियमावली बनाने की शक्ति राज्य सरकार में निहित हैं। इसी कारण कारण अधिनियम के तहत बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों की सरकार ने मिट्टी खनन के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति की अनिवार्यता समाप्त कर दी गयी हैं।
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