April 19, 2024

view point Jharkhand

View Point Jharkhand

इंसान और हाथियों का टकराव को रोकने के लिए सारंडा वन में अब नयी तकनीक का होगा इस्तेमाल

Featured Video Play Icon
Spread the love


पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लगा रहा है एनाइडर्स
रांची। सारंडा (Saranda))में हाथी – मानव द्वंद को रोकने (human and elephant conflict)एवं हाथियों के द्वारा पहुंचाए जाने वाले क्षति पर बहुत हद तक रोक लगाई जा सकेगी। हाथियों का झुंड अगर जंगल से गांव की ओर प्रस्थान कर भी गया तो जंबो हूटर बज जाएगा। इससे गांव के लोग अलर्ट हो जाएंगे इसके अलावा इंफ्रारेड से जुड़े खास इंस्ट्रूमेंट हाथी प्रभावित इलाके में लगाए लगाएंगे यह हाथियों को गांव में जाने से रोका जाएगा। खास बात यह है कि हाथी प्रभावित इलाका सारंडा वन प्रमंडल के जंगल में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तकनीक के इस्तेमाल में 47 लाख रुपए खर्च होंगे। वन विभाग की माने तो एनिमल इंटर्सन डिटेक्शन रिपेलेंट सिस्टम को चालू करने के लिए कोशिश काफी दिनों से चल रही थी इससे हाथियों की आने की सूचना मिलेगी और वन विभाग हाथियों पर निगरानी रख पाएगा।
पहले फेज में गुवा वन प्रक्षेत्र के नुइया गांव में 6 पैसिव एनाइडर्स और ससंगदा वन प्रक्षेत्र में 2 एक्टिव एनाइडर्स लगाए गए हैं।
रिसर्च के बाद लग रही है मशीन
एनिडर्स को लेकर वर्ल्ड वाइड फंड फ़ॉर नेचर इन इंडिया ने एक रिसर्च भी किया है, जिसमें नतीजा यह आया कि यह मशीन 86 प्रतिशत सफलतापूर्वक काम करता है और अब तक जहां भी लगाया गया है वहां किसानों की उपज में 60 प्रतिशत तक वृद्धि भी हुई है।
क्या है एनिडर्स
एनिडर्स यानी एनिमल इंटर्सन डिटेक्शन रिपेलेंट सिस्टम, यह एक मशीन है जो जानवरों तथा आदमियों में फर्क बखूबी समझता है और यह मशीन पूरी तरह से सोलर पावर से चलता है। मशीन के रेंज में जानवरों के आते ही मशीन अपने आप एक्टिव हो जाएगा और जानवरों के खेत व ग्रामीण क्षेत्रों के नजदीक आते ही सेंसर अलार्म चालू हो जाता है साथ उसमें लगे इंफ्रारेड किरण हाथियों को डराना शुरू कर देते है और उसमें लगे एक्टिव और पैसिव सेंसर जानवरों और मानव में बखूबी फर्क पकड़ लेता है । वही उसमें लगे जीएसएम नेटवर्क तुरंत वन विभाग को भी अलर्ट कर देता है। एनाइडर्स में लगे कैमरा हाथियों की एक्टिविटी को रिकॉर्ड करता है जिससे वन विभाग को हाथियों की गणना में मदद करेगा।
वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट प्लान के तहत होगा काम
पूरे पायलट प्रोजेक्ट पर सारंडा वन प्रमंडल के वन प्रमंडल पदाधिकारी चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा ने बताया कि इस पायलट प्रोजेक्ट में आने वाले खर्च का वहन वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट प्लान के तहत टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स लिमिटेड करेगी । इस प्रोजेक्ट को प्रधान मुख्य वन संरक्षक सह मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक की ओर से मंजूरी मिल गई है। उन्होंने बताया कि गाजियाबाद की क्यारी नामक कंपनी एनाइडर्स लगा रही है और अगले 7 वर्षों तक इस मशीन की रख रखाव की जिम्मेदारी भी इसी कंपनी की होगी। पहले चरण में हाथियों से सर्वाधिक प्रभावित 18 गांव में एनाइडर्स लगाए जाएंगे, बेहतर परिणाम आने पर और भी जगहों लगाई जाएगी। प्रत्येक गांव में 6 एक्टिव इंफ्रारेड सेंसर और 6 पैसिव इंफ्रारेड सेंसर लगाए जाएंगे 18 गांव में लगने वाले एनाइडर्स पर लगभग 47 लाख रुपए खर्च होंगे।
हाथियों के पर्यावास को और बेहतर बनाने का प्रयास
डीएफओ ने कहा कि एलीफेंट प्रोजेक्ट और राज्य सरकार की ओर से दिए जाने वाले संसाधनों से हाथियों के पर्यावास को और बेहतर बनाने का वन विभाग प्रयास कर रही है। एलीफेंट कोरिडोर क्षेत्रों में हाथियों के पीने के पानी उपलब्ध करवाने को लेकर अधिकतर जगह चेक डैम का निर्माण किया गया है। इसी तरह से वन विभाग हाथियों के प्रवास के लिए लगातार कार्य कर रहा है। सारंडा में बहुत ही कम जगह पर मानव और जंगली जानवरों के बीच द्वंद की स्थिति बनी है, क्योंकि अधिकतर क्षेत्र बीहड़ जंगल है, जहां पर हाथियों के रहने के लिए आवास, खाने के लिए भोजन और पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध है। कई क्षेत्रों में बांस की पौधारोपण भी की जाती है ताकि हाथियों को उनका प्रिय भोजन आसानी से मिल सके।
सारंडा के घने जंगलों में हाथियों का आवागमन जारी
सारंडा वन प्रमंडल के डीएफओ चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा ने बताया कि अभी बरसात का मौसम है। इस दौरान सारंडा के जंगलों में हाथियों का आवागमन जारी रहता है, ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों से वन विभाग की अपील है कि बिजली के खंभे से गए तार को खुला न रखें, बिजली के तार हमेशा कवर करके रखें। जिससे किसी भी हाथी की मौत न हो। साथ ही उन्होंने कहा कि जहां तक हो सके बिजली के तारों को पक्के खंभों से ही ले जाएं। बेजुबान जानवरों की मौत बिजली की चपेट में आने से हो जाना यह काफी पीड़ादाई होती हैं।
सारंडा वन में मुख्यतः 2 हाथी कॉरिडोर (elephant corridor)
एशिया के सबसे बड़े सारंडा जंगल में मुख्यतः 2 हाथी कॉरिडोर है- कारो-करमपदा हाथी कॉरिडोर व आंकुआ- अंबिया हाथी कॉरिडोर। कारो-करमपदा हाथी कॉरिडोर की लंबाई 14.48 किलोमीटर है जबकि आंकुआ- अंबिया हाथी कॉरिडोर की लंबाई 10.5 किलोमीटर है ।

About Post Author