व्रतियों ने चना, कद्दा की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण किया
रांची। BIHAR_JHARKHAND का प्रसिद्ध चार दिनों तक चलने वाला छठ व्रत (chhath mahaparva) की शुरुआत सोमवार को नहाय-खाय के साथ हुई। छठव्रतियों ने महापर्व के पहले दिन स्नान कर नये कपड़े पहन पूजा की और चना-दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण किया। व्रत रखने वाली महिलाओं के प्रसाद ग्रहण करने के बाद परिवार के अन्य सदस्यों ने भोजन किया। नहाय खाय के दिन जो खाना खाया जाता है, उसमें सेंधा नमक का इस्तेमाल होता हैं। यह व्रत काफी कठिन होता है। नहाय-खाय के दिन बनने वाले भोजन को बनाने के दौरान भी कई खास बातों का ध्यान रखा जाता है। जो खाना इस दिन बनाया जाता है, उसे रसोई के चूल्हे पर नहीं,बल्कि लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जाता है। इस चूल्हे में केवल आम की लकड़ी का ही इस्तेमाल किया जाता है। इस दिन तमाम नियमों का पालन करते हुए भोजन बनाकर सबसे पहले सूर्य देव को भोग लगाया जाता है,उसके बाद छठ व्रती भोजन ग्रहण करते हैं और उसके बाद ही परिवार के दूसरे सदस्य भोजन कर सकते हैं।
छठव्रती मंगलवार को खरना के निर्जला उपवास शुरू करेंगे। 36 घंटे निर्जला रखने वाले छठ व्रतियों को यह व्रत कठिन नहीं, बल्कि आसान लगता है, व्रत करने वाला व्यक्ति व्रत पूरा होने तक जमीन पर ही सोते हैं।
छठव्रती 10नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य और 11 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे, उसके बाद पारण ग्रहण करेंगे। छठव्रतियों ने बताया कि छठी मईया सभी मनोकामनाएं पूरी करती है।
कोरोना संक्रमण को लेकर इस बार एहतियात के तौर पर राजधानी रांची में बड़ी संख्या में कृत्रिम तालाब बनाकर या अपने घरों में बाथ टब या गड्ढा बनाकर अर्घ्य अर्पित करने की तैयारी चल रही हैं। वहीं छठ महापर्व को लेकर बाजार में भी खासी रौनक देखी जा रही हैं। लोग पूजा के लिए फल और अन्य जरुरत के सामानों की खरीदारी कर रहे हैं।
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