रांची। आर्थिक मामलों के जानकार (financial expert) सूर्यकांत शुक्ला (Suryakant Shukla) का कहना है कि चालू वित्त वर्ष 2020-21की दूसरी तिमाही जुलाई-सितम्बर में देश की जीडीपी वृद्धि दर लगभग 8 प्रतिशत रहने की संभावना है, जो विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज गति से बढ़ने वाली विकास रफ़्तार होगी।
सूर्यकांत शुक्ला का मानना है कि ग्रामीण मजदूरी और निजी निवेश (private investment) पर केंद्र सरकार का फोकस हो तो देश की जीडीपी नई नौकरियों (new jobs) और ग्रामीण आय में बढोत्तरी के साथ बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय इस महीने के अंत में 30 नवंबर को भारत में विकास दर का अधिकारिक डेटा जारी करेगा। दूसरी तिमाही में विकास दर के प्रमुख अनुमानों में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति 7.9 प्रतिशत, एसीबीआई की ईको रैप रिपोर्ट 8.1 प्रतिशत और अर्थशास्त्रियों के ईटी पोल का औसत 8.3प्रतिशत विकास दर का अनुमान शामिल है।
मालूम रहे कि पहली तिमाही अप्रैल जून में विकास दर 20.1 प्रतिशत रही थी जबकि ठीक एक साल पहले इसी अवधि में कोविड महामारी के कारण जीडीपी में 24 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट हुईं थी। कर संग्रह, ई-वे बिलों की संख्या,रेल यातायात औद्योगिक उत्पादन इंडेक्स जैसे उच्च आवृत्ति संकेतक एक तरफ इकॉनमी में तेजी का रुझान दे रहे हैं तो दूसरी तरफ माल ढुलाई की बढ़ती लागत, बंदरगाहों पर कंटेनर की भारी कमी, चिप्स आपूर्ति में बाधा,कोयला उत्पादन में कमी, क्रूड आयल की बढ़ती कीमतें विकास की राह में मुश्किलें खड़ी कर रहीं हैं। यह सही है कि विश्व आपूर्ति श्रंखला में आयी बाधाओं ने देश की इकॉनमी को कम प्रभावित किया है जबकि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं ज्यादा प्रभावित हुईं हैं। अमेरिका की जीडीपी वृद्धि दर सितम्बर तिमाही में 4.9 प्रतिशत पर आ गयी जो जून तिमाही में 12. 2 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की थी। इसी तरह चीन की विकास दर की रफ़्तार भी जून तिमाही में7.9 प्रतिशत से सितम्बर तिमाही में गिरकर 4.9 प्रतिशत रह गयी।
ऐसा नही है कि भारतीय अर्थव्यस्था में सबकुछ चमकदार है। कॉर्पोरेट जगत के मुनाफे तिमाही दर तिमाही बढ़ रहे हैं तो दूसरी तरफ दोपहिया वाहनों की बिक्री और उत्पादन में गिरावट ने ग्रामीण अर्थव्यस्था की मुश्किलों को उजागर किया है।
कॉर्पोरेट जगत अपनी लागत में कमी कर मुनाफे कमाने पर लगा हुआ है और निवेश नही बढ़ा रहा,जिससे नई नौकरियां नही पैदा हो रहीं हैं। इस सन्दर्भ में केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का नीति शिखर सम्मलेन में हाल ही में दिया गया। बयान कबीले गौर है, जिसमें उन्होंने जोखिम उठाने और कैपेसिटी बढ़ाने के लिए निवेश करने का आह्वान उद्यमियों से किया है।
कॉर्पोरेट पूंजीगत व्यय कमजोर बना हुआ है। निर्यात जरूर बढ़ रहा है परन्तु क्रूड आयल की बढ़ती कीमतों ने आयात बिल को बढ़ा दिया और जीडीपी में नेट एक्सपोर्ट का योगदान नही हो पाया।
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