कास्ट स्क्रूटनी कमेटी के आदेश को दी गयी चुनौती
रांची। झारखंड उच्च न्यायालय में आज भाजपा के कांके विधायक समरी लाल की ओर से रिट याचिका दाखिल की है। याचिका में उनकी ओर से कास्ट स्क्रूटनी कमिटी के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनके जाति प्रमाण पत्र को ग़लत करार दिया गया था। याचिकाकर्ता समरीलाल के अधिवक्ता हर्ष कुमार ने बताया कि याचिका में कहा गया है कि बिना किसी ठोस आधार के समरी लाल की जाति प्रमाण पत्र को अवैध करार दिया गया है। यह नैसर्गिक न्याय नहीं है। प्रार्थी ने अपनी याचिका में कहा है कि वर्ष 1956 में एकीकृत बिहार में उस जाति को एसटी में शामिल किया गया था, जिस जाति से वे आते हैं। लेकिन एक अप्रैल को स्टेट स्क्रूटनी कमिटी ने बिना किसी गवाह और ठोस साक्ष्य के उनके जाति प्रमाण पत्र को ग़लत क़रार दिया जो ग़लत है। साथ ही अपनी याचिका ने उन्होंने यह भी कहा है कि जिस व्यक्ति का जाति प्रमाण पत्र जांच प्रतिवेदन के आधार पर हुआ है, उसकी जाति प्रणाम पत्र की जांच स्क्रूटनी कामिटी नहीं कर सकती।
प्रार्थी ने अपनी याचिका में कहा है कि वर्ष 1956 में एकीकृत बिहार में उस जाति को एसटी में शामिल किया गया था। जिस जाति से वे आते हैं, लेकिन 1 अप्रैल को स्टेट स्क्रूटनी कमिटी ने बिना किसी गवाह और ठोस साक्ष्य के उनके जाति प्रमाण पत्र को ग़लत क़रार दिया जो ग़लत है। इसके साथ ही अपनी याचिका ने उन्होंने यह भी कहा है कि जिस व्यक्ति का जाति प्रमाण पत्र जांच प्रतिवेदन के आधार पर हुआ है, उसकी जाति प्रणाम पत्र की जांच स्क्रूटनी कमिटी नहीं कर सकती।

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