खनन लीज और शेल कंपनी मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी हुई
रांची। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद शेल कंपनी और खनन लीज मामले में झारखंड उच्च न्यायालय में मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल, महाधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने कोर्ट में बहस की। ईडी की ओर से वरीय अधिवक्ता तुषर मेहता तथा मुख्यमंत्री की ओर से वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतोगी ने पक्ष रखा।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ0 रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजित नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पहले अदालत मेंटेनबिलिटी पर सुनवाई करेगी। इस दौरान कपिल सिब्बल ने अगली सुनवाई के लिए कोर्ट से समय देने का आग्रह किया, जिसके बाद मामले की सुनवाई के लिए 1 जून की तिथि निर्धारित की है।
इस संबंध में याचिककर्ता के अधिवक्ता राजीव रंजन ने रांची में पत्रकारों से बातचीत में 1 जून को शेल कंपनियों और माइनिंग से संबंधित दायर पीआईएल की मेंटेनबिलिटी पर सुनवाई होगी। इसके लिए अदालत ने सभी को 31 मई के पहले शपथ दाखिल कर देने का निर्देश दिया है। उन्होंने बताया कि ईडी की ओर से वरीय अधिवक्ता तुषार मेहता ने पक्ष रखते हुए कहा कि जांच में विलंब होने से साक्ष्य को खत्म करने का समय मिल जाएगा और आरोपी को पकड़ने में मुश्किल होगी।
इससे पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खनन लीज और उनके करीबियों से जुड़े शेल कंपनियों से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार द्वारा दाखिल एसएलपी पर मंगलवार को सुनवाई हुई। उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान झारखंड उच्च न्यायालय को मेंटेनबिलिटी को लेकर निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को जनहित याचिका की विश्वासनीयता भी तय करने को कहा है।
उच्चतम न्यायालय में झारखंड सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखते हुए कहा कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को पक्षकार बनाया जाना चाहिए था। उन्होंने यह दलील दी कि यह मामला पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है, इसलिए कोस्ट लगाकर मामले को रद्द कर देना चाहिए। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट से याचिका की मेंटेनिबिलिटी पर फैसला लेने को कहेंगे, अदालत इसमें अपनी कोई टिप्पणी नहीं करेगी और इन सबके बीच में कोर्ट नहीं आएगी। जबकि वहीं ईडी के अधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि ईडी विशेष अपराध की जांच कर रहा है और इसमें जांच एजेंसी को दूसरे अपराध से संबंधित सामग्री मिलती हैं, ईडी ने अब तक की जांच में पाया है कि इस मामले में उच्च रैंक वाले शामिल है। इसे अदालत के सामने रख सकते हैं।
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