वर्ष 2014 मंे मांडर से चुनाव जीत चुकी है गंगोत्री कुजूर, सूचना आयुक्त समेत कई पदों पर रही
रांची। भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड के मांडर विधानसभा सीट के लिए गंगोत्री कुजूर को एक बार फिर से प्रत्याशी घोषित किया है। गंगोत्री कुजूर वर्ष 2014 में भी मांडर विधानसभा सीट से चुनाव जीत चुकी है, यही कारण है कि पार्टी ने उनपर फिर से विश्वास जताया है।
1965 में जन्मी गंगोत्री कुजूर वर्ष 2006 में राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्त के पद पर भी काम चुकी हैं, जबकि 1900 से बीजेपी की सक्रिय में कदम रखने वाली गंगोत्री कुजूर ने सबसे पहले रांची के बरियातू की स्थानीय कमेटी की सदस्य बनी, फिर मंडल , महानगर अध्यक्ष होते हुए प्रदेश महिला मोर्चा में उपाध्यक्ष बनी और अभी प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की सदस्य है।
गंगोत्री कुजूर ने 2014 में बंधु तिर्की को हराया, इस बार बेटी देगी टक्कर
बीजेपी प्रत्याशी गंगोत्री कुजूर ने साल 2014 में झारखंड विकास मोर्चा टिकट पर चुनाव लड़ रहे बंधु तिर्की को चुनाव में हराया था, लेकिन बंधु तिर्की झाविमो से चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गये और आय से अधिक संपत्ति मामले में 3 साल की सजा हो जाने के बाद बंधु तिर्की की विधानसभा सदस्यता खत्म हो गयी, लेकिन प्रदेश कांग्रेस में कार्यकारी अध्यक्ष होने के नाते बंधु तिर्की ने अपनी बेटी शिल्पी नेहा तिर्की को कांग्रेस पार्टी से टिकट दिलाने में कामयाबी हासिल की है। इस तरह से गंगोत्री कुजूर के सामने इस बार प्रत्यक्ष रूप से बंधु तिर्की की जगह उनकी बेटी गंगोत्री कुजूर उम्मीदवार होंगी।
वर्ष 2019 में गंगोत्री कुजूर का कटा था टिकट
बीजेपी ने वर्ष 2019 के विधानसभा में गंगोत्री कुजूर का टिकट काट कर कांग्रेस में भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायक देवकुमार धान को टिकट दिया था, लेकिन वे बंधु तिर्की का मुकाबला करने में सफल नहीं हुए और यह सीट भाजपा के हाथ से निकल गयी है। यही कारण है कि उपचुनाव में एक बार फिर से गंगोत्री कुजूर को उम्मीदवार बनाये जाने का निर्णय लिया है।
6 को करेंगी नामांकन
बीजेपी प्रत्याशी के रूप में गंगोत्री कुजूर 6 जून को नामांकन दाखिल करेंगी। मांडर विधानसभा उपचुनाव के लिए 6 जून तक ही नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि है। 7 जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी और 9 जून तक नामांकन पत्र वापस लिये जाएंगे। 23 जून को मतदान और 26 जून को मतगणना होगी।
बंधु तिर्की की सदस्यता खत्म होने के कारण उपचुनाव
मांडर विधानसभा उपचुनाव विधायक बंधु तिर्की की विधानसभा सदस्यता खत्म होने के कारण हो रहा है। सीबीआई की विशेष अदालत ने मार्च महीने में बंधु तिर्की को आय से अधिक संपत्ति मामले में तीन साल की सजा सुनायी, जिसके कारण उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म हो गयी और उपचुनाव की नौबत आयी। बंधु तिर्की ने वर्ष 2019 में झाविमो टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन बाद में वे झाविमो के एक अन्य विधायक प्रदीप यादव के साथ कांग्रेस में शामिल हो गये, वहीं झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने पार्टी का विलय भाजपा में कराया, जिसके कारण विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण में दलबदल का मामला भी चल रहा है।
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