एक ऐसा सरकारी स्कूल,जहां नामांकन के लिए पैरवी करना पड़ता है
जमशेदपुर। एक ऐसा सरकारी स्कूल जहा नामांकन के लिए पैरवी करना पङता है। जमशेदपुर ।भारत गांवों का देश है और गांवों की तरक्की में ही देश की प्रगति निहित है। आधुनिकता की दौड़ में जहां शहरों की चकाचौंध बढ़ी है वहीं दिन-प्रतिदिन गांवों की तस्वीर भी तेजी से बदलती जा रही है। गांवों को विकास के रास्ते पर ला खड़ा करने हेतु गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन निर्माण में देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों में चलाये जा रहे विद्यालयों की अहम भूमिका होती है। वर्तमान में कई विद्यालय अपने प्रेरणादायी, अनुशासित एवम गुणवत्तापूर्ण कार्यों की बदौलत गाँवो की सुनहरी तस्वीर पेश कर रहे है। इसी बीच कई अनोखे पहल की बदौलत झारखण्ड के पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका प्रखण्ड स्थित सुदूर इलाके में अवस्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय टांगराईन एक सुनहरी तस्वीर पेश कर रहा है। विद्यालय जिला मुख्यालय जमशेदपुर से तकरीबन 45 किलोमीटर की दूरी पर झारखण्ड-ओड़िसा सीमा के समीप स्थित है।
रेलगाड़ी के डब्बों में लगता है बच्चों का क्लास
पोटका के टांगराईन गांव में बगैर पटरी के रेलगाड़ी बरबस ही लोगों का ध्यान अपने ओर खींचती है। दरअसल उत्क्रमित मध्य विद्यालय, टांगराईन (पोटका) के प्रभारी प्रधानाध्यापक अरविंद तिवारी ने विद्यालय को अपनी सूझबूझ से नया रूप दिया है। स्कूल के कमरों को रेलगाड़ी के डिब्बे की तरह सजाया गया है जिससे लगता है कि जैसे सचमुच का रेल हो, बच्चे भी क्लासरूम के साथ फोटो खींचा कर खूब उत्साहित होते हैं। मालूम हो कि विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक अरविंद तिवारी को इस बार इस बार जिला स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है । पिछले 4 वर्षों से सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में अवस्थित यह विद्यालय अक्सर चर्चा में रहता है । विद्यालय के बच्चों के लिए पढ़ाई के साथ साथ खेल एवं अन्य व्यक्तित्व विकास की गतिविधियां नियमित रूप से कराई जाती हैं । विद्यालय में कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई होती है जिसमें वर्तमान में 266 बच्चे अध्ययनरत हैं।
कोरोना काल में मोबाइल लाइब्रेरी से बच्चों की पढ़ने की चिंता दूर की गई, किताबें व पत्र पत्रिकाएं भी बच्चों में पढ़ने की रुचि बनाए रखने में अहम साबित हुईं। कोरोना काल में भी शिक्षक अरविंद तिवारी की मोबाइल लाइब्रेरी ने टांगराइन के बच्चों की पढ़ाई जारी रखी । उत्क्रमित मध्य विद्यालय टांगराइन के प्रधानाध्यापक अरविंद तिवारी जब भी क्षेत्र में भ्रमण पर निकलते हैं तो उनके साथ एक बैग होता है जिसमें होती है ढेर सारी किताबें, रंगीन पत्रिकाएं कहानी की किताबें, रंग करने के लिए पेंसिल, कॉपी, ड्राइंग शीट। शिक्षक गांव में गली गली घूम कर बच्चों से बात करते हैं उन्हें पढ़ने के लिए कहानी की किताबें देते हैं साथ ही जरूरत पड़ने पर उन्हें कॉपी पेन चित्र बनाने के लिए आवश्यक सामग्री भी देते हैं । कभी साथ बैठकर कहानी सुनाते हैं तो कभी साथ बैठकर गणित की समस्याएं बच्चों के साथ सुलझाते हैं । इस तरह बच्चों के साथ कोरोना काल में भी बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने में कामयाब हुए हैं अरविंद तिवारी। लगातार अपनी नई पहल से समाज में शिक्षा की लौ जलाए हुए हैं।
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