पौराणिक मंदिर के कारण धार्मिक पर्यटन के साथ ही एडवेंचर टूरिज्म का बनेगा हब
रांची। झारखंड की राजधानी रांची से करीब 22 किलोमीटर दूर नामकुम प्रखंड में अवस्थित मराशिली पर्वत (Marashili mountain) पर जलकुंड (watercourse)से अनोखा त्रिनेत्र बना (The unique Trinetra) हुआ है और पौराणिक मंदिर के कारण अब यहां धार्मिक पर्यटन के साथ ही एडवेंचर टूरिज्म को भी बढ़ावा देने की योजना बनायी जा रही है।
जलकुंड से बना त्रिनेत्र, गहराई का अंदाजा लगाना मुश्किल
करीब 230 एकड़ में एक ही चट्टान में फैले (single rock of 230 acres)मराशिली पर्वत पर जलकुंड से बना त्रिनेत्र पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है। मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोगों का कहना है कि इसके अंदर दो खोह भी मौजूद है और इसकी गहराई का पता लगाना भी मुश्किल है। ग्रामीण बताते है कि सात खटिया की रस्सी से भी इसकी गहराई का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है।
भगवान विश्वकर्मा ने मंदिर बनाया
किदवंदियों के अनुसार मराशिली पहाड़ पर अवस्थित पौराणिक शिव मंदिर का निर्माण खुद भगवान विश्वकर्मा ने कराया। मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोगों का कहना है कि भगवान विश्वकर्मा को यहां मंदिर निर्माण के लिए सिर्फ एक रात का वक्त मिला था। उन्होंने सारे काम कर लिये, लेकिन जब मंदिर के गुंबद की बारी आयी, तो सुबह हो गया, मुर्गे ने बांग दे दी। इस कारण भगवान विश्वकर्मा को यहां का मंदिर अधूरा छोड़ना पड़ा। बाद में यहां के रहने वालों ने मंदिर का काम पूरा किया, लेकिन पौराणिक मंदिर की दीवार और शिवलिंग में कोई छेड़छाड़ नहीं किया गया है, सिर्फ शिवलिंग में ऊपर से कवर कर दिया गया है,ताकि जलाभिषेक से खराब ना हो। वहीं मोटी दीवार अब भी पुरानी अवस्था में बरकरार है।
बाल्मिकी के राम नाम का उल्टा जाप के कारण हुआ नामकरण
पौराणिक शिव मंदिर और मराशिली पर्वत के नामकरण के संबंध में स्थानीय ग्रामिण बताते है कि महिर्षि बाल्मिकी यहां आये थे, वह इसी पहाड़ में राम नाम का उल्टा जाप कर रहे थे, जिसके कारण इस पहाड़ का पहला शब्द मरा जो की राम का उल्टा मिला है और शिला का अर्थ होता है पहाड़-पर्वत। यही कारण है कि इस जगह का नाम मराशिला पर्वत पड़ गया।
पूरी हुई है कई मुरादें
चूंकि यह प्राचीन मंदिर हैं और यहां आकर मन्नत मांगने वाली की मुराद पूरी होती है। मंदिर की देखरेख और व्यवस्था में जुटी महिला समिति की एक सदस्य ने बताया कि वर्षां से यहां आंखें बंद कर दोनों हथेलियों को उल्टा कर दीया को ऊपर ढाप देने से मन्नतें पूरी होती है, लेकिन यह दीया को ढापने में सफलता कुछ किस्मत वाले को ही मिलती हैं। वहीं पर्वत में मौजूद चट्टान से मॉनसून के आगमन के पहले मेढ़क की आवाज भी निकलती है, जिससे लोगों को यह पता चल जाता है कि इस वर्ष अच्छी बारिश होगी।
एडवेंचर टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलने की संभावना
रॉक एंड रोप एडवेंचर ग्रुप के सदस्य संतोष सिन्हा का कहना है कि मराशिली पर्वत खुबसूरत प्राकृतिक वादियों से घिरा हुआ है। सरकार ने इस क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र घोषित किया है। यहां एडवेंचर टूरिज्म को भी बढ़ावा दिया जा सकता है, इसके लिए मराशिली पर्वत में सभी आधारभूत संरचना उपलब्ध हैं।
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