January 12, 2025

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खतरनाक सांपों से डरने की जरुरत नहीं, ऐसे करें बचाव और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाये

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वन पदाधिकारियों-कर्मियों को सांपों को बचाने और पकड़ कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ने को लेकर दिया गया प्रशिक्षण
रांची। देश ही नहीं बल्कि एशिया के सबसे बड़े सारंडा जंगल में ना सिर्फ वन्य प्राणी रहते है, बल्कि इलाके में कई तरह की खतरनाक प्रजातियों के सांपों का भी डेरा है। जंगल में कार्यरत वन विभाग के पदाधिकारियों-कर्मचारियों का अक्सर इन सांपों से सामना हो जाता है। इसे लेकर शनिवार को चाईबासा स्थित वनपाल प्रशिक्षण विद्यालय में सांपों को बचाने और उन्हें पकड़ कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ने को लेकर एकदिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया।

सांप को मारने पर वन अपराध की श्रेणी में सजा का प्रावधान

सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा ने बताया कि प्रशिक्षण के लिए रेस्क्यू किए गए सांपों को लाया गया और प्रशिक्षण के उपरांत उन्हें जंगल में छोड़ दिया गया। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि वन और वन्य जीवो के प्रति संवेदनशील बने। सांपों को देखने के बाद डरे नहीं , बल्कि उन्हें जाने का रास्ता दे, सांपों को मारे नहीं, सांप को नुकसान पहुंचाना भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत वन अपराध की श्रेणी में आता है , इसमें सजा का भी प्रावधान है। जब तक पता ना हो कि सांप को किस तरह का से पकड़ा जाए तब तक उन्हें ना पकडे।

विशेष तकनीक से ही सांप पकड़े

आज प्रशिक्षण में उप परिसर पदाधिकारियों को झारखंड में पाए जाने वाले सांपो के बारे में बताया गया है। उन्होंने बताया कि पहले यह पहचानने के प्रयास करें कि सांप जहरीला है या बिना जहर वाला है। जहरीले सांप को कुछ विशेष तकनीक से ही पकड़ने का प्रयास करें । बता दें कि उप परिसर पदाधिकारी वन विभाग के अग्रिम पंक्ति के वन कर्मी है वह ग्रामीणों और वन विभाग के बीच पुल का कार्य करते हैं ये लोग ही ग्रामीणों को जागरूक कर सांपो को बचाने में अहम भूमिका निभाते है।  

सांपों के लिए रेस्क्यू सेंटर बनाने की वकालत

सर्प विशेषज्ञ एनके सिंह ने बताया कि  सरकार को रेस्क्यू सेंटर बनानी होगी जहां रेस्क्यू किए गए सांपों को उनके स्वस्थ होने तक रखा जाए। स्वस्थ होने के उपरांत उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाए।  इस प्रशिक्षण में सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा, वन क्षेत्र पदाधिकारी प्रजेश जेना और ससंगदा वन क्षेत्र पदाधिकारी राजेश्वर प्रसाद समेत अन्य लोग मौजूद थे।

घायल होने पर सांप खाना-पीना छोड़ देते है और मौत हो जाती है

सांपों को बचाने व सुरक्षित स्थान पर छोड़ने का प्रशिक्षण जमशेदपुर से आये प्रसिद्ध सांप विशेषज्ञ एनके सिंह ने सांपो को नुकसान नहीं पहुंचाने व पकड़ कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के लिए बहुत सारी तकनीक बताएं। सांपों को किसी भी चिमटा जैसी वस्तुओं से नहीं पकड़ने की सलाह दी गयी,   क्योंकि चिमटा जैसी वस्तुओं से सांप के शरीर में चोट लग सकती है अगर चिमटा से सांप को पकड़ा जाए तो सांप काफी डर जाता है और डरने के बाद सब खाना पीना छोड़ देता है। उसके उपरांत वह कुछ दिनों के बाद मर जाता है । ज्यादातर लोग सांप पकड़ने के बाद उसे छोड़ देते हैं उसके बाद की स्थिति का पता किसी को नहीं चल पाता है । उन्होंने बताया कि सांप डरपोक प्रजाति का जानवर है। सांपों की संख्या बढ़ाने का प्रयास करें । सांपों की ज्यादा होने से पर्यावरण संतुलित रहता है। सांप वही चीज अपना शिकार बनाते है जिसको वो खाते है, परंतु इंसान विवेकहीन होने के कारण किसी भी वन प्राणी को नुकसान पहुंचा देते हैं। उन्होंने लोगों से अपील किया है कि आप सब सांपो का सम्मान करें सांप भी आपका सम्मान करेगा।

सांपों कभी दूध नहीं पी पाता

सांप विशेषज्ञ एनके सिंह ने बताया कि कुछ लोगों में यह धारणा रहती है कि सांप दूध पीते हैं परंतु सांप का जीभ काफी पतला होता है वह दूध  नहीं पी पाता है इसलिए सांप कभी दूध नहीं पिलाना चाइए  है। सांपों के साथ सेल्फी ना ले । सांप का फोटो ले जिससे भविष्य में उन्हें सांपों को पहचानने में मदद मिलेगी ।

सांप खाने वाले दांत से काटे तो विष का असर नहीं
उन्होंने बताया कि पश्चिमी सिंहभूम क्षेत्र में चित्ति सांप की बहुत हैवे हेमोटॉक्सिन होते हैं उसके काटने के दो छोटा बिंदु के समान काला निशान पड़ जाते हैं, इसके काटने पर व्यक्ति की मृत्यु जल्दी हो सकती है, वहीं  कोबरा जो न्यूरोटोक्सीन होते हैं उसके काटने पर नीला निशान पड़ जाते हैं अगर सांप के काटने पर चीरा हुआ निशान दिखाई देता है तो सांप ने उसे खाने वाले दांत से काटा है जिससे सांप का विष मनुष्य में प्रवेश नहीं किया है और व्यक्ति सुरक्षित हैं।

सांप काटने से पत्नी की मृत्यु हुई, सांपों को बचाने का प्रण लिया

बता दें कि एनके सिंह 1971 से सांप पकड़ रहे हैं। उनकी पत्नी की मृत्यु सांप काटने से हुई थी, उसके उपरांत उन्होंने प्रण लिया की सांपों को बचाना है।  सांपों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होना चाहिए जब तक सांप के शरीर पर पैर ना पड़े सांप कभी इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाता है तब से लेकर अब तक एक लाख से भी ज्यादा सांप को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर छोड़ देते हैं । खरसावां के कुचाई में उन्होंने सांप पार्क की भी स्थापना की है। एनके सिंह 85 वर्ष की उम्र में भी काफी सक्रिय है।

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