रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार चाहती है कि उपराजधानी दुमका में हाईकोर्ट की खंडपीठ स्थापित हो, इसे लेकर सरकार गंभीर हैं।
भाजपा के नारायण दास के एक प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने बताया कि दुमका में उच्च न्यायालय बेंच की स्थापना को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है, यह विधायिका और न्यायपालिका के बीच का नीतिगत मामला हैं। सरकार ने इस बाबत हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भी लिखा है और कई बार मौखिक बात भी हुई हैं। हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार आधारभूत संरचना ही दे सकती हैं, न्यायिक व्यवस्था को चलाने में न्यायपालिका की ही भूमिका होती हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे भी इस बात के पक्षधर है कि दुमका में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना हो, इस दिशा में वे लगातार प्रयासरत हैं। इससे पहले नारायण दास ने कहा कि दुमका में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना का मुद्दा झारखंड मुक्ति मोर्चा के चुनावी घोषणा पत्र में भी हैं। इसलिए सरकार को इस दिशा में समुचित कदम उठाना चाहिए।
शहीद झारखंड आंदोलनकारियों के परिजनों को नौकरी-मुआवजा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक बार फिर यह दोहराया है कि अलग झारखंड राज्य आंदोलन में शहीद आंदोलनकारियों के परिजनों को सरकारी नौकरी और मुआवजा पर राज्य सरकार ने पहले ही निर्णय ले लिया हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आंदोलनकारियों को चिह्नित करने के लिए चिह्नितीकरण आयोग गठित हैं, आयोग की अनुशंसा पर सरकार कार्रवाई करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि खरसावां गोलीकांड का मामला 1948 का हैं, इस गोलीकांड में कई लोग शहीद हुए थे, बुढ़े-बुजुर्गाें से पूछकर शहीदों की पहचान और उनके आश्रितों को नौकरी-मुआवजा उपलब्ध कराने की दिशा में हरसंभव कोशिश को रही है। गुवा गोलीकांड के भी दो शहीदों के आश्रितों को मुआवजा और नौकरी प्रदान किया गया हैं।
मल्लाह-निषाद को एससी में शामिल करने का अधिकार केंद्र के पास
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि निषाद-मल्लाह समेत अन्य जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की शक्ति राज्य सरकार के पास नहीं हैं। उन्हांेने कहा कि किसी भी जाति को एसटी-एससी श्रेणी में शामिल करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है और यह मामला संविधान संशोधन से जुड़ा हुआ हैं, इसलिए केंद्र सरकार ही इस मसले पर निर्णय लेने के लिए सक्षम प्राधिकार हैं।
आयोग,बोर्ड-निगम के गठन की प्रक्रिया जल्द पूरी होगी-मुख्यमंत्री
रांची। झारखंड में एक दर्जन से अधिक आयोग, बोर्ड, निगम और न्यायाधिकरण का पुनर्गठन नहीं हो पाया हैं। भाजपा के विरंची नारायण के एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताया कि जल्द ही आयोग, बोर्ड-निगम के गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कहीं न कहीं नेता प्रतिपक्ष नहीं होने के कारण कई नियुक्तियां लंबित है, इस संबंध में वैकल्पिक मार्ग निकालने की कोशिश की जा रही हैं।
इससे पहले विरंची नारायण ने कहा कि राज्य मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग, सूचना आयोग, उपभोक्ता निवारण आयोग, बाल कल्याण बोर्ड, आवास बोर्ड, विद्युत नियामक आयोग, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड, झारखंड राज्य खनिज विकास बोर्ड निगम समेत कई बोर्ड-निगम और न्यायाधीकरण का गठन नहीं होने से लोगों को परेशानियां हो रही हैं। उन्होंने इन सभी संवैधानिक पदों को भरने की मांग उठायी हैं।
भूमि अधिग्रहण के लिए समुचित मुआवजा और अन्य विसंगतियों को दूर करने पर अध्ययन के बाद निर्णय-हेमंत सोरेन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कांग्रेस की अंबा प्रसाद के एक सवाल के जवाब में कहा कि खनन क्षेत्र के लिए जमीन अधिग्रहण के बाद रैयतों को समुचित मुआवजा उपलब्ध कराने और अन्य विसंगतियों को दूर करने पर अध्ययन के बाद राज्य सरकार निर्णय लेगी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कोल बियरिंग एक्ट और अन्य केंद्रीय कानून के माध्यम से कंपनियां खनन कार्याें के लिए भूमि अधिग्रहण करती हैं, इस दौरान समुचित मुआवजा और नौकरी को लेकर कई विसंगतियां की बात सामने आती हैं। उन्होंने कहा कि इन सारी विसंगतियों को दूर करने के लिए सरकार देश के अन्य खनन करने वाले राज्यों में बनाये नियम-कानून का अध्ययन कराने के बाद नीति निर्धारण का काम करेगी।
तेल उत्पादक बोर्ड के गठन से इनकार, लघु-कुटीर उद्योग बोर्ड होगा सुदृढ़
भाजपा के ढुल्लू महतो के एक प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने तेल उत्पादक बोर्ड के गठन से इनकार कर दिया हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि छोटे-छोटे उद्योगों के माध्यम से रोजगार दिलाने के लिए पहले से ही लघु-कुटीर उद्योग बोर्ड संचालित हैं, इसलिए अलग से तेल उत्पादक बोर्ड गठन की जरूरत नहीं हैं और अभी ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं हैं।
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