December 13, 2025

view point Jharkhand

View Point Jharkhand

विधानमंडल के सदस्य की निरहर्ता की शर्त्ताें में माइंस लीज होल्डर होना शामिल नहीं-सूर्यकांत शुक्ला

Spread the love


रांची। झारखंड मे इन दिनों संविधान का अनुच्छेद 192 काफी चर्चा मे है और सुर्खियां भी बटोर रहा है। ऐसा इसलिए कि राज्यपाल ने संविधान के इसी अनुच्छेद से प्राप्त शक्ति का इस्तेमाल करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन माइनिंग लीज प्रकरण मामले मे चुनाव आयोग से मंतव्य मांगने की कार्रवाई की है।
आर्थिक और संसदीय मामलों के जानकार सूर्यकांत शुक्ला का कहना है इस संबंध संविधान के अनुच्छेद को हूबहू उद्धृत करना प्रासंगिक होगा । खण्ड (1) यदि यह प्रश्न उठता है कि किसी राज्य के विधान मंडल के किसी सदन का कोई सदस्य अनुच्छेद 191 के खण्ड (1) मे वर्णित किसी निरहर्ता से ग्रस्त हो गया है या नही ,तो यह प्रश्न राज्यपाल को विन्श्चय के लिए निर्देशित किया जायेगा और उसका विन्श्चय अंतिम होगा। इसमें यह साफ है कि अनुच्छेद 192 के प्रावधान अनुच्छेद 191 (1)मे वर्णित निरहर्ता (डिसक्वालीफिकेशन) की पांच स्थितियों से जुड़े हुए हैं । दूसरी यह बात भी स्पष्ट है कि ऐसा मामला राज्यपाल को निर्देशित किया जायेगा। तीसरी बात यह है कि राज्यपाल का विनिश्चय फाइनल होगा ।
किन किन स्थितियों मे विधान मंडल के किसी सदन का कोई सदस्य निरहिर्त (डिसक्वालीफाई) होगा उसका उल्लेख अनुच्छेद 191 (1)के पांच बिन्दु मे दिया गया है। जिसमें पहला है यदि वह कोई लाभ का पद धारण करता है। दूसरा यदि वह विकृतचित है और ऐसा सक्षम न्यायालय से घोषित हो। तीसरा यद वह दिवालिया हो गया है । चौथा यदि उसकी नागरिकता प्रश्नों के घेरे मे आ गयी हो। पांचवी स्थिति तब बनती है जब वह संसद द्वारा बनायी गयो किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस प्रकार निर्हित (डिसक्वालीफाई) कर दिया गया जाता है ।
अब इन्हीं पांच स्थितियों में किसी सदस्य की निरहर्ता पर कोई सवाल खड़ा होने पर मामला विन्श्चय के लिए राज्यपाल को निर्देशित करने की बात अनुच्छेद 192 (1)मे कही गयी है। अनुच्छेद 192 (2)कहा गया है कि निरहर्ता के ऐसे किसी प्रश्न पर विन्श्चय करने से पहले राज्यपाल निर्वाचन आयोग की राय लेगा और ऐसी राय के अनुसार कार्य करेगा । यहां यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का माइंस लीज मामला अनुच्छेद 191 (1) में परिभाषित पांच स्थितियों के दायरे मे आता है या नही । दूसरी महत्वपूर्ण बात यह भी है कि क्या यह मामला राज्यपाल को निर्देशित है या नही ,जैसा कि अनुच्छेद मे उल्लेख है। और इस तरह के माइंस लीज मामलों मे न्यायालयों के क्या न्याय निर्णय रहे हैं और न्याय निर्णयों से क्या निर्हरता प्रभावी हुई है या नही । क्या माइंस लीज मामले को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने चुनाव हलफनामे में जिक्र किया है या नहीं, इन बातों को देखना होगा।

About Post Author

You may have missed