अदालत का दरवाजा खटखटाने और अन्य सभी विधिसम्मत रणनीति की रूपरेखा बनी
रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में भारत निर्वाचन आयोग की ओर से सीलबंद लिफाफा राजभवन पहुंचने के बाद राजनीतिक सरगर्मी काफी बढ़ गयी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सुबह से ही अपने करीबी सलाहकारों के साथ बैठक कर स्थिति से निपटने की रणनीति बनाने में व्यस्त रहे, जबकि कई मंत्री-विधायक के अलावा सहयोग दल कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम तथा आरजेडी के एकमात्र विधायक सह मंत्री सत्यानंद भोक्ता भी मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे।
इन्हीं सब राजनेताओं के साथ बैठक करने के साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने महाधिवक्ता राजीव कुमार के साथ भी अकेले मंे काफी देर तक बातचीत की। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने खिलाफ फैसला आने पर तुरंत सर्वाेच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं, इसके अलावा अन्य कानूनी विकल्पों पर भी चर्चा की गयी। फिलहाल भारत निर्वाचन आयोग के फैसले का कोई खुलासा नहीं हुआ है, इसलिए सीएम हेमंत सोरेन की ओर से अभी हर संभावित फैसले के अनुरूप उससे निपटने की रणनीति पर चर्चा की गयी।
जेएमएम का दावा, आयोग के फैसले पर कई विकल्प
इधर, झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से दावा किया गया है कि भारत निर्वाचन आयोग जो भी निर्णय लेगा, उसे लेकर पार्टी के पास कई विकल्प उपलब्ध है। जेएमएम केंद्रीय समिति के सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य और सांसद विजय हांसदा ने कहा कि आयोग ने सीएम हेमंत सोरेन की सदस्यता को लेकर क्या अनुशुंसा की है, इसक ेबारे में बीजेपी के सांसद पहले कैसे ट्विट कर रहे है, यह आपराधिक कृत्य है। जिस पर आयोग को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए। ऐसा ना होने से संवैधानिक संस्था की विश्वसनीयता और साख पर संकट खड़ा हो रहा है। जेएमएम नेताओं ने कहा कि दिल्ली से रांची पहुंचे राज्यपाल को जो बातें मालूल नहीं है, उसकी जानकारी बीजेपी नेताओं को है, यह जांच का विषय है। बीजेपी नेताआंे के बयान से स्पष्ट हो गया है कि भाजपा सरकारी एजेंसियों के साथ खिलवाड़ कर रही है और जो ऑफिशयल मैटर है, उसे सार्वजनिक करने की कोशिश कर रही है।
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