शिबू सोरेन का नाम आगे कर सभी विवादों को खत्म करने की भी होगी कोशिश
कल्पना सोरेन की ताजपोशी में आने वाली अड़चनों को भी दूर करने की बन रही रणनीति
रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा अध्यक्ष ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में संकट में पड़ गयी है। भारत निर्वाचन आयोग के मंतव्य के बाद यदि राज्यपाल का फैसला सीएम हेमंत सोरेन के पक्ष में आता है, तब तो उनके लिए कोई संकट की स्थिति नहीं होगी, लेकिन यदि फैसला उनके खिलाफ होगा, इससे निपटने के लिए हर संभावित विकल्पों पर सीएम हेमंत सोरेन और उनके करीबी रणनीतिकार सभी विकल्पों पर विचार कर रहे है। हेमंत सोरेन के सीएम पद छोड़ने की बाध्यता पर कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, इन सारे विकल्पों में सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का नाम सबसे आगे चल रहा है।
सबसे पहले अदालत से स्टे लेने का प्रयास
सीएम हेमंत सोरेन और उनके रणनीतिकारों ने ने गुरुवार को महाधिवक्ता समेत कई कानूनविदों से राय ली। जिसमें लगभग इस बात पर सहमति बन गयी है कि जैसे ही राज्यपाल की ओर से उनके खिलाफ कोई फैसला आता है, तो तुरंत अदालत का दरवाजा खटखटाया जाएगा और इस फैसले के खिलाफ स्टे प्राप्त करने की कोशिश की जाएगी।
सिर्फ सदस्यता रद्द होने पर पद बने रहेंगे
सूत्रों के अनुसार कानूनविदों से राय लेने पर इस बात पर भी जेएमएम के अंदर सहमति बनी है कि यदि हेमंत सोरेन की सिर्फ विधानसभा सदस्यता रद्द होती है और चुनाव लड़ने पर कोई रोक नहीं लगती है, तब वे सीएम पद पर बने रहेंगे और छह महीने के अंदर फिर से चुनाव लड़ कर वापस आएंगे। वहीं जिस तरह से पूर्व मंत्री और निर्दलीय विधायक सरयू राय की ओर से अति विश्वस्त सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि हेमंत सोरेन की ना सिर्फ विधानसभा सदस्यता समाप्त हो जाएगी, बल्कि तीन साल तक उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लगायी जा सकती है। ऐसी स्थिति में अदालत से स्टे नहीं मिलने पर हेमंत सोरेन के लिए सीएम पद छोड़ने की विवशता होगी।
कल्पना सोरेन समेत कई नामों पर चर्चा
सत्तारूढ़ यूपीए गठबंधन में जेएमएम सबसे बड़ी पार्टी है, ऐसे में पार्टी के अंदर कई नामों पर चर्चा शुरू हो गयी है। जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन के नाम पर पार्टी के अंदर कोई विवाद नहीं हो सकता, ऐसे में उनका नाम आगे कर सभी को एकजुट किये जाने की चर्चा है। लेकिन दिल्ली स्थित लोकपाल में शिबू सोरेन के खिलाफ चल रहा मामला इसमें बाधा खड़ा कर रहा है। वहीं इसके अलावा जो दूसरा नाम सबसे आगे है, वह है मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन । इसके अलावा भी हेमंत सोरेन की मां रूपी सोरेन और उनके बड़े भाई दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन के अलावा परिवार से बाहर चंपई सोरेन समेत कई नामों की चर्चा है। परंतु हेमंत सोरेन के करीबी नेता और विधायक कल्पना सोरेन के नाम को ही आगे बढ़ा रहे है।
कल्पना सोरेन की ताजपोशी में कई बाधाएं
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन की ताजपोशी के बाद कई बाधाएं भी आने की संभावना है। संवैधानिक प्रावधान के अनुसार बिना किसी सदन का सदस्य रहे, किसी को भी मुख्यमंत्री या मंत्री के रूप में शपथ दिलायी जा सकती है, लेकिन छह महीने के अंदर उन्हें विधानमंडल का सदस्य निर्वाचित होना होगा। कल्पना सोरेन मूल रूप से ओडिशा की रहने वाली है। ऐसे में वह हेमंत सोरेन की सदस्यता समाप्त होने की स्थिति में खाली होने वाले बरहेट सीट से चुनाव लड़ पाएगी या नहीं, इसे लेकर भी कानूनविदों से राय ली जा रही है। बरहेट विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है और ओडिशा निवासी होने के कारण कल्पना सोरेन को झारखंड में अनुसूचित जनजाति का लाभ नहीं मिल पाएगा। हालांकि यह भी तर्क किया जा रहा है कि हेमंत सोरेन से विवाह के बाद अब कल्पना सोरेन झारखंड की नागरिक बन गयी है,ऐसे में उन्हें आरक्षण का लाभ मिलेगा।
सामान्य निर्वाचन सीट की भी तलाश शुरू
कल्पना सोरेन के मुख्यमंत्री बनने पर सामान्य निर्वाचन सीट की भी तलाश की जा रही है, ताकि बिना किसी बाधा उन्हें चुनाव लड़वाया जा सके। ऐसे में नाला, जरमुंडी और डुमरी विधानसभा सीटों की चर्चा है। नाला सीट से अभी रबींद्रनाथ महतो विधायक है और वे स्पीकर है, जबकि जरमुंडी सीट को जेएमएम के लिए सुरक्षित सीट नहीं माना जा रहा है, यह अभी कांग्रेस के खाते में है और कृषिमंत्री बादल लगातार दो बार से इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे है। ऐसे में सबसे सुरक्षित सीट डुमरी विधानसभा सीट को माना जा रहा है, जहां से शिक्षामंत्री जगरनाथ महतो चुनाव जीत कर आते है और उनका यहां खासा प्रभाव है। जगरनाथ महतो को सीएम का काफी करीबी माना जाता है और इस बात की चर्चा है कि यदि हेमंत सोेरेन उनसे आग्रह करते है, तो वे अपनी सीट कल्पना सोरेन के लिए छोड़ सकते है।
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