1932 के खतियान पर स्थानीय नीति, पिछड़ा वर्ग को आरक्षण, जातिगत जनगणना और सुखाड़ समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा
रांची। झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में फैसले को लेकर असमंजस्यता के बीच कल 5 सितंबर को विधानसभा के विस्तारित मॉनसून सत्र की एकदिवसीय बैठक बुलायी गयी है।
विश्वास मत प्रस्ताव पर चर्चा की दी गयी सूचना
विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्रनाथ महतो ने बताया कि सदन के नेता की ओर से उन्हें यह सूचित किया गया है कि राज्य मंत्रिमंडल सदन में विश्वास मत हासिल करना चाहती है। उन्होंने बताया कि यह विशेष सत्र नहीं है, बल्कि 29 जुलाई से 5 अगस्त तक आहूत मॉनसून सत्र के दौरान एक दिन पहले ही सभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी थी। इसलिए यह मॉनसून सत्र की विस्तारित बैठक ही है। उन्होंने बताया कि किन लोगों की वजह से यह भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है कि हेमंत सोरेन सरकार संकट में है, यह सभी को पता है। यही कारण है कि सरकार ने सदन में बहुमत प्रस्ताव पेश कर यह संदेश देना चाहती है कि बहुमत किसके साथ हैं।
सभी विधायकों को भेजा गया सम्मान
5 सितंबर को मॉनसून सत्र की एकदिवसीय विस्तारित बैठक की सूचना पक्ष-विपक्ष के सभी सदस्यों को दे दी गयी है। विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि कैशकांड में गिरफ्तारी के बाद कोलकाता में रह रहे कांग्रेस के तीनों विधायकों को भी सत्र आहूत करने की सूचना दी जा चुकी है। अब कौन सदस्य बैठक में हिस्सा लेने पहुंचते है, इसलिए निर्णय उन्हें लेना है।
स्थानीय नीति, जातिगत जनगणना, ओबीसी आरक्षण समेत अन्य बड़ी घोषणा संभव
विधानसभा के एकदिवसीय विस्तारित सत्र में 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय, जातीय जनगणना, पिछड़ा वर्ग को आरक्षण और कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है। राजनीतिक हलकों में इस बात की बड़े जोरों पर चर्चा है कि सीएम हेमंत सोरेन भविष्य की राजनीति को लेकर कल बड़ा ट्रंप कार्ड खेलेंगे। इसके अलावा सुखाड़ की स्थिति समेत कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा है। एकदिवसीय सत्र में राज्य की वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति को लेकर पक्ष-विपक्ष के सदस्य एक-दूसरे को घेरने का प्रयास करेंगे।
पुरानी पेंशन योजना लागू करने, शिक्षकों की नियुक्ति समेत कई लोकलुभावन निर्णय ले चुकी है सरकार
विधानसभा के एकदिवसीय सत्र के पहले ही हेमंत सोरेन सरकार राज्य कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू, पुलिस कर्मियों के लिए क्षतिपूर्ति भत्ता, 50 हजार शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पद सृजन समेत अन्य लोकलुभावन प्रस्ताव पर कैबिनेट की बैठक में निर्णय ले चुकी है। ऐसी स्थिति में यदि स्थानीय नीति, ओबीसी आरक्षण, जातिगत निर्णय पर भी यदि कोई बड़ा फैसला लिया जाता है, तो इसका परिणाम दूरगामी राजनीति पर देखने को मिलेगा।
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