January 11, 2025

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बजट रोजगारपरक हो, बुनियादी ढांचा को मिले बढा़वा, तो रोजगार और खपत बढ़ेगी-सूर्यकांत शुक्ला

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रांची। आगामी 1 फरवरी 2022 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद मे अपने चौथे बजट भाषण में वित्त वर्ष 2023 के लिए वार्षिक वित्तीय विवरणी पेश करने वाली हैं जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए केन्द्र सरकार का एक वित्तीय स्टेटमेंट होगा ।
आर्थिक मामलों के जानकार सूर्यकांत शुक्ला का मानना है कि कोविड 19महामारी से जूझती उबरती फंसती देश की अर्थव्यवस्था की वर्तमान रिकवरी को टिकाऊ बनाये रखने और खोई क्षमता को फिर से प्राप्त करने के लिए जरूरी उपायों की सूची को अंतिम रूप देने के लिए बजट विशेषज्ञ नीति निर्माताओं का मंथन अब निर्णायक दौर पर है।
सूर्यकांत शुक्ला ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था आज किस मुहाने पर खड़ी है इस पर गौर कर लेना जरूरी है तभी विकास को गति देने और विकास को समावेशी बनाने वाले उपायों की तलाश सही ढंग से हो पायेगी।7जनवरी 2022 को सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा निर्गत चालू वित्त वर्ष मे जीडीपी के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार रियेल जीडीपी की ग्रोथ रेट 9.2 प्रतिशत है जो एक अच्छी विकास दर है। परंतु निरपेक्ष रुप से कोविड पूर्व 2019-20 के स्तर 145 ट्रिलियन रुपये से बढ़कर 2021-22 में 147 ट्रिलियन रुपये ही है। इसी के साथ चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही मे कुल रियेल जीडीपी 68.12 ट्रिलियन रुपये की है जो 2019-20 की पहली छमाही की रियेल जीडीपी 73.28 ट्रिलियन रुपये से कम ही है।
जीडीपी का महत्वपूर्ण घटक उपभोक्ता खपत जिसका योगदान 56 से 58 प्रतिशत है देश की अर्थव्यवस्था में वह भी कमजोर है। पहले अग्रिम अनुमान मे 6.8 प्रतिशत की वृद्धि तो दिखाई गयी है परन्तु निरपेक्ष रुप से कोविड पूर्व के स्तर से 2.9 प्रतिशत अभी भी कम है। अर्थव्यवस्था मे सकारात्मक संकेतको यथा एक्सपोर्ट ,माईनिंग ,कृषि और बजट अनुमानों से ज्यादा राजस्व संग्रहण के बावजूद रिकवरी मे कमजोरी है जिसे आगामी बजट 2022 से वित्तीय और नीतिगत समर्थन की भारी जरूरत है।
बजट खर्च की प्राथमिकताओं में बुनियादी ढ़़ांचा, हेल्थकेयर, सोशल सिक्योरिटी केयर, महामारी प्रभावित सेक्टर होटल, आटो सूक्ष्म लघु मध्यम उद्योग व्यापार को जगह मिलनी चाहिए। अर्थव्यवस्था में खपत को बढ़ावा देने के लिहाज से कर अधिनियम की धारा 80सी छूट सीमा, पीपीएफ में निवेश के लिए कर कटौती सीमा, मानक कटौती तथा लम्बी अवधि के पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) सुव्यवस्थित करके टैक्स बचत के उपायों को घोषणा बजट में वित मंत्री कर सकती हैं ।
कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ाने की बात तो बहुत होती है परंतु बजट की राशि ससमय खर्च हो, इसपर सुस्ती बनी रहती है। चालू वित वर्ष में भी पूंजीगत मद के 5.54 ट्रिलियन रुपये मे नवम्बर 2021 तक मात्र 2.74 ट्रिलियन रुपये ही खर्च किये जा सके जबकि राजस्व संग्रहण की रफ्तार बजटीय अनुमानों से बहुत आगे रही ।
परंतु महत्वपूर्ण बजट के खर्चों का वित्तपोषण सिर्फ करारोपण से नही हो सकता। इसके लिये विनिवेश और एसेट मानेटाईजेवन का मजबूत पारदर्शी फ्रेमवर्क हो ,साथ ही घरेलू उधारी के अलावा ग्लोबल इंडेक्स में भारत की इंट्री की दिशा मे बजट से मार्गदर्शन होना चाहिए ।

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