January 10, 2025

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आज भी वीर शहीदों की गाथा बताती है यह धरती

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क्रांतिकारियों के भय से भाग गया था अंग्रेज कमिश्नर डाल्टन, लौटा तो ऐसा खौफनाक कदम उठाया
रांची। अंग्रेजी हुकूमत के शोषण के खिलाफ 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में छोटानागपुर की धरती के क्रांतिकारियों ने वीरता और साहस का परिचय दिया था। तब क्रांतिकारियों के डर से अंग्रेज कमिश्नर डाल्टन इस क्षेत्र को छोड़ भाग खड़ा हुआ था और तब जगन्नाथपुर के जागीरदार ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के हाथों में कमान आ गयी थी, लेकिन इस बीच चतरा में क्रांतिकारियों की हार के बाद डेढ़ महीने बाद डाल्टन वापस आ गया और ऐसा खौफनाक कदम उठाया गया, जिसकी कहानी सुनकर आज भी लोगों का दिल दहल उठता है और रांची स्थित शहीद स्थल की धरती उन यादों को अपने आगोश में समायें हुए है।
रांची विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ0 रामप्रवेश बताते है कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में झारखंड के ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव और पांडे गणपत राय समेत अन्य अनगिनत अनाम सपूतों ने देश की आजादी के लिए अंग्रेजों से लोहा लिया था। अंग्रेजों को उनका आंदोलन पसंद नहीं आया और रांची के इसी शहीद स्थल पर अवस्थित कदम के पेड़ पर उन्हें फांसी पर लटका दिया गया।
शहीद स्थल के समीप ही एक कुआं है, जहां बताया जाता है कि शहीदों को फांसी देने के बाद उनके शव हो कुएं में दफना दिया जाता था। शहीद स्मारक समिति के सदस्य रवि दत्त बताते है कि शहीद स्थल स्थित कदम के पेड़ पर शहीदों को फांसी देने के बाद वहीं निकट स्थित कुआं में डाल दिया जाता है।
समिति के एक अन्य सदस्य विमल साहू का कहना है कि शहीद स्थल के समीप ही शहीद चौक का भी ऐतिहासिक महत्व है । बताया जाता है कि यहां सिपाही विद्रोह के 40 आंदोलनकारियों को अंग्रेजी हुकूमत ने गोलियों से भून दिया था।

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