रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के पूर्व विधायक अमित महतो और उनकी पत्नी पूर्व विधायक सीमा महतो ने रविवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है।
पूर्व विधायक अमित महतो और सीमा महतो ने जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन को लिखे पत्र में कहा कि जेएमएम से जुड़ने का उद्देश्य झारखंड में सामाजिक रूप से बहिष्कृत और उपेक्षित झारखंडी जनजातीय समुदाय और मूलवासी समाज को उनके सामाजिक और शैक्षणिक विकास को बढ़ावा देना था। साथ ही उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के साथ ही उनकी सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक उन्नति के लिए संघर्ष करना था।
दोनों नेताओं ने कहा कि जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन सदैव शराबबंदी के पक्षधर रहे हैं और शराबंदी को लेकर जनजागरण करते है, पर वर्तमान परिदृश्य में राज्य सरकार राजस्व के नाम पर शराब बेचने पर आमादा है, जो उनके आदर्शाें के खिलाफ है। दूसरा सबसे दुःखद पहलु यह है कि महाधिवक्ता समेत अन्य संवैधानिक पदों सहित विधिक सलाहकार के पद पर झारखंड विरोधियों को नियुक्त किया गया है, जिस कारण झारखंडी हित में सरकार फैसले नहीं ले पा रही हैं। पत्र में कहा गया है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार गठन के बाद आम झारखंडी की तरह उन्हें भी यह उम्मीद जगी थी कि वर्तमान सरकार के पहले कैबिनेट में ही झारखंडी हित में खतियान आधारित स्थानीय नीति की घोषणा कर दी जाएगी, लेकिन सरकार गठन के दो वर्ष बीतने के बावजूद अब तक झारखंडी हित में खतियान आधारित स्थानीय एवं नियोजन नीति की घोषणा नहीं की गयी है। इसलिए 20 जनवरी को ही उन्होंने इस ओर पार्टी का ध्यान दिलाया था और एक महीने के अंदर इस पर फैसला लेने की अपील की थी, लेकिन उनकी बातें नहीं सुनी गयी, इसलिए आज वे जेएमएम के सभी पदों और पार्टी की प्राथमिकता सदस्यता से त्यागपत्र देते हैं
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