रांची। आर्थिक मामलों के जानकार सूर्यकांत शुक्ला ने कहा है कि बजट केन्द्र का हो या राज्य का इसमें प्रावधानित पूंजीगत व्यय की महत्ता ज्यादा इसलिये होती है कि यह अपने साथ गरीबों और अकुशल लोगों के लिए रोजगार के अवसर लेकर आती है। झारखंड राज्य का बजट आने वाला है। प्रति ब्यक्ति सालाना औसत आय के मामले में देश में झारखंड का रैंक 26वां है। ऐसे मे बजट का वह मद जो रोजगार बढानेकी क्षमता रखता है उस पर गौर करने की जरुरत है।
चालू वित्त वर्ष के लिए जो बजट 2021मे पेश किया गया था उसके दस्तावेज -बजट एक झलक 2021-22 के खर्च विश्लेषण ग्राफ से साफ पता चलता है कि राज्य मे साल दर साल पूंजीगत व्यय मे कमी आयी है। उदाहरण से यह ज्यादा स्पष्ट होगा। वित्त वर्ष 2018 मे पूंजीगत मद मे 16753 करोड़ रुपये का खर्च दिखाया गया जो साल दर साल घटकर वित्त वर्ष 2020मे 14275 करोड़ रुपये हो गया। वहीं चालू वित्त वर्ष 2022 (2021-22) के बजट अनुमान मे यह राशि 15521 करोड़ रुपये है जो वित्त वर्ष 2018 की तुलना मे कम है। जब बजटीय अनुमान ही कम है तो वास्तविक खर्च तो और कम हो जायेगा जो बाद मे पता चलेगा ।
सरकार के पूंजीगत व्यय अपनी प्रकृति से न सिर्फ निजी निवेश को आकर्षित करनेवाले होते हैं वे अर्थव्यवस्था मे उच्च गुणक प्रभाव डालते हैं। जिससे उत्पादकता मे बढ़ोत्तरी होती है। राज्यों के बजट मे जब पूंजीगत खर्च की बात आती है तो यह स्थानीय आबादी को ज्यादा लाभ पहुंचाने की स्थिति मे होती है। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक फाईनेंस एंड पालिसी के अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार पूंजीगत व्यय के मामले में एक रुपये के खर्च से उसी वर्ष के भीतर 2.25 रुपये का लाभ राज्य की अर्थव्यवस्था को मिलता है जबकि पूरे पूंजीगत व्यय के दौरान 4.50रुपये का फायदा होता है। सूर्यकांत शुक्ला ने उम्मीद जतायी कि आने वाले राज्य के सालाना बजट मे पूंजीगत व्यय का पर्याप्त प्रावधान हो और ऐसे खर्च की सतत मानिटरिंग हो ताकि झारखंड वासियों को रोजगार और आय का फायदा मिल पाये।
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