वर्ष 2022-23 में जीएसडीपी स्थिर मूल्य पर 6.15 प्रतिशत और वर्तमान मूल्य पर 10.72 प्रतिशत रहने का अनुमान
रांची। झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन ं बुधवार को वित्तमंत्री डॉ0 रामेश्वर उरांव ने वर्ष 2021-22 का आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट को सभा पटल पर रखा।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2022-23 में झारखंड के जीएसडीपी में स्थिर मूल्य पर 6.15 प्रतिशत और वर्तमान मूल्य पर 10.72 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। इनका इस वर्ष स्थिर मूल्य पर 2.62 हजार करोड़ रुपये और वर्त्तमान मूल्य पर 4 लाख 2 हजार करोड़ रुपये होने का अनुमान है। जबकि झारखंड की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2011-12 में 41254 रुपया था, वर्ष 2021-22 में स्थिर मूल्य पर इसका 57180 रुपये और वर्त्तमान मूल्य पर 85485 रुपये होने का अनुमान है। वहीं पिछले वर्ष की तुलना में स्थिर मूल्य पर इसमें 7.1 प्रतिशत और वर्त्तमान मूल्य पर 13.1 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है। जबकि वर्त्तमान मूल्य पर झारखंड की प्रति व्यक्ति आय पिछले 10 वर्षाें में दोगुनी से अधिक हो गयी है।
जीएसडीपी देश के जीडीपी से 2 प्रतिशत से भी कम
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार झारखंड का भौगोलिक क्षेत्र देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 2.4 प्रतिशत है और देश की लगभग 2.7 प्रतिशत आबादी यहां रहती है, लेकिन इसका जीएसडीपी देश के जीडीपी के 2 प्रतिशत से भी कम है। झारखंड की स्थिर (2011-12) कीमतों पर जीएसडीपी वर्ष 2011-12 में 1 लाख 50 हजार करोड़ रुपया था, चालू वित्त वर्ष (2021-22) में इसके 2 लाख 47 हजार करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इस प्रकार इसमें पिछले वर्ष की तुलना में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस प्रकार अर्थव्यवस्था ने 2020-21 के कोविड-19 महामारी की पहली लहर और लॉकडाउन के बाद एक सुधार दिखाया है। कोविड-19 की पहली लहर और लॉकडाउन ने भारतीय अर्थव्यवस्था और उसके राज्यों की अर्थव्यवस्थाओं को बुरी तरह प्रभावित किया था। झारखंड की जीएसडीपी वर्ष 2020-21 में 4.7 प्रतिशत से कम हुआ था, जबकि भारत के जीडीपी में इस वर्ष 7.3 प्रतिशत की कमी आयी थी।
जीडीपी 1.67प्रतिशत होने का अनुमान
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2000-01 में जिस वर्ष राज्य का गठन हुआ था, उस वक्त राज्य की वास्तविक जीएसडीपी देश की वास्तविक जीडीपी का 1.52 प्रतिशत था, लेकिन वर्ष 2021-22 में इसके देश के जीडीपी का 1.67 प्रतिशत होने का अनुमान है।
बिहार-यूपी से प्रति व्यक्ति आय अधिक
वर्ष 2019-20 में झारखंड की प्रति व्यक्ति केवल तीन राज्यों मणिपुर, उत्तर प्रदेश और बिहार से अधिक रही। बिहार की प्रति व्यक्ति आय झारखंड की तुलना में लगभग 46 प्रतिशत कम थी, जबकि उत्तर प्रदेश और मणिपुर की प्रति व्यक्ति इससे लगभग 22 प्रतिशत और 5.8प्रतिशत कम थी।
आर्थिक मंदी , कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन का पड़ा असर
2019-20 की आर्थिक मंदी से भारत और झारखंड दोनों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई। भारत की तरह झारखंड का जीएसडीपी वर्ष 2019-20 में केवल 4 प्रतिशत की दर से बढ़ा। वहीं आर्थिक मंदी के बाद कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन हुआ। इस कारण देश की जीडीपी में 7.3प्रतिशत की कमी आयी, जबकि झारखंड की जीएसडीपी में 4.7प्रतिशत की कमी आयी थी। हालांकि झारखंड की अर्थव्यवस्था अब इस महामारी से पूरी तरह से रिकवर हो गयी है।
मुद्रास्फीति की दर कम रही
झारखंड की मुद्रास्फीति दर न केवल राष्ट्रीय दर से कम रही, बल्कि देश के अधिकांश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से भी कम रही है। नंबर 2021 में जहां भारत की मुद्रास्फीति की दर 4.91 प्रतिशत थी, वहीं झारखंड में यह 2.6प्रतिशत थी।
46.16प्रतिशत गरीबी रेखा से नीचे
नीति आयोग की हाल ही में जारी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक बेसलाइन रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 46.16प्रतिशत लोग गरीब है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का प्रतिशत 50.93प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में यह 15.26प्रतिशत है। यह रिपोर्ट एनएफएचएस-4 सर्वेक्षण 2015-16 पर अधारित है। इसके बाद उन क्षेत्रों में जो बहुआयामी गरीबी का संकेतक है,उसमें काफी प्रगति हुई है।
रांची,धनबाद, बोकारो, जमशेदपुर में कम गरीबी
राज्य में गरीबी की घटनाओं में व्यापक स्थानिक भिन्नता है। धनबाद, बोकारो, रामगढ़, रांची और पूर्वी सिंहभूम जिलों में जो पूर्व में दक्षिण-पूर्व तक फैले हैं, इन जिलों में कम गरीबी है।ये सभी जिले ज्यादा शहरीकृत और यहां उद्योग एवं खनिज संपदा है। दूसरी तरफ राज्य के उत्तर-पश्चिमी, उत्तर पूर्वी और दक्षिणी भागों में गरीबी बहुत अधिक है, इन जिलों में साहेबगंज, पाकुड़, चतरा और पश्चिमी सिंहभूम जिला शामिल है।
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