January 10, 2025

view point Jharkhand

View Point Jharkhand

 विवाह में भोज देने की बाध्यता नहीं होनी चाहिए-राज्यपाल

Spread the love


ढुकु परंपरा के तहत रह रहे 170 जोड़ों के सामूहिक विवाह में वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए
रांची। राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि कहा कि उन्हें यह जानकारी मिली है कि झारखंड के कई क्षेत्रों में कुछ कारणवश लिव-इन संबंध व्यापक रूप से प्रचलित है। झारखंड की संस्कृति अत्यन्त समृद्ध व गौरवशाली है। विश्व स्तर पर इसकी विशिष्ट पहचान है। प्रकृति के प्रति प्रेम, सामूहिकता की भावना अनुकरणीय है और इसकी मिशाल दी जाती है। लेकिन हमारे समक्ष आज भी कुछ सामाजिक समस्याएँ मौजूद हैं, जिनका निदान करना आवश्यक है।
आश्चर्य हो रहा है कि बहुत-से युगल गरीबी के कारण विवाह के बिना लिव-इन में रहते हैं। स्थानीय रीतियों के अनुसार विवाह कार्यक्रम 3 से 5 दिन तक चलता है और इसमें भोज देने की भी व्यवस्था होती है। उन्हें यहां यह कहने में कतई संकोच नहीं है कि भोज देने की बाध्यता नहीं होनी चाहिये, ये अपनी इच्छा व सामर्थ्य के अनुसार दिया जाना चाहिये।
राज्यपाल ने रविवार को निमित्त संस्था द्वारा खूंटी में आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया।
उन्होंने शादियों में खर्चा होने के कारण लड़का-लड़की विवाह के बिना घर में एक साथ पति-पत्नी के जैसे रहते हैं, उनसे संतान भी होता है, जिसके पास किसी भी तरह का अधिकार नहीं होता है। विडम्बना है कि महिलाओं को ‘ढुकु’ से संबोधित किया जाता है।
उन्हें यह जानकर बहुत दुःख हो रहा है कि इन महिलाओं को सार्वजनिक कुएँ व हैंडपंप से पानी भरने में भी कठिनाई होती है। कई समुदाय में लड़कियों का कान छिदवाना एक महत्वपूर्ण संस्कार है, इसे नहीं करने दिया जाता है। महिलाएँ और बच्चे जरूरी दस्तावेज़ के अभाव में सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं।
उन्हें यह भी बताया गया कि इस प्रकार के युगलों की एक बड़ी आबादी है। ऐसे में वह निमित्त संस्था कन सचिव डॉ० निकिता सिन्हा बधाई देते है । निकिता सिन्हा ने अपनी व्यापक सोच को दर्शाते हुए इस बड़ी सामाजिक समस्या के निदान हेतु यह क्रांतिकारी कदम उठाया। इस बड़ी सामाजिक समस्या के निदान के लिए उनकी सक्रियता बनी रहे। यह खुशी की बात है कि डॉ० निकिता सिन्हा इस सामाजिक समस्या को समाप्त करने हेतु तेजी से काम कर रही है। इस क्रम में उनके द्वारा लगभग 5 वर्षों से सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन कर ऐसे युगलों का पूरे रीति-रिवाज से विवाह किया जाता है।
कल भी उनके द्वारा 250 से अधिक युगलों की रीति-रिवाज से शादी कराई गई और आज 170 से अधिक जोड़ों की शादी हुई है। इस वर्ष अभी तक 1300 से अधिक जोड़ों की शादी कराई जा चुकी है। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
डन्होंने कहा कि उनका मानना है कि समाज में मौजूद इस प्रकार की समस्याओं का निदान जरूरी है। इसके लिए एक कोषांग बनाया जा सकता है एवं ऐसे युगलों को चिन्हित कर पंचायत या ग्राम स्तर पर शादी समारोह का आयोजन कर इन्हें सामाजिक मान्यता प्रदान की जा सकती है। ऐसे लोगों के लिए जिला प्रशासन को भी सक्रियता से आगे आना होगा। वे ऐसे युगलों को चिन्हित कर राज्य में संचालित कन्यादान योजना से लाभान्वित करें तथा अन्य सरकारी योजनाओं का भी लाभ प्रदान करें। जिला प्रशासन इन सभी युगलों का राशनकार्ड एवं अन्य सरकारी पहचान पत्र अप-टू-डेट करने के साथ उनके बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र बनाने का शीघ्रता से कार्य करें। ऐसे जनजातीय युगलों को हम सरकार द्वारा संचालित आजीविका कार्यक्रम तथा कौशल विकास कार्यक्रम के जरिये सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त कर सकते हैं।
राज्यपाल ने खूंटी जिला में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला, जो कमड़ टूट जाने के कारण इस सामूहिक विवाह में विवाह नहीं कर सकी, की जानकारी प्राप्त होने पर उक्त महिला के इलाज हेतु उपायुक्त, खूँटी को पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सहायता करने का निर्देश दिया।

About Post Author