विपक्षी भाजपा-आजसू पार्टी विधायकों की आपत्तियों, संशोधन और प्रवर समिति को भेजने की मांग खारिज
रांची। झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के 16वें दिन आज सदन में भोजनावकाश के बाद अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति को प्रोन्नति में आरक्षण देने के लिए पेश किये गये विधेयक को विपक्षी भाजपा-आजसू सदस्यों के भारी विरोध के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम द्वारा पेश गये ‘‘राज्य सरकार के पदों पर आरक्षण के आधार पर प्रोन्नत सरकारी सेवकों की परिणामी वरीयता विधेयक 2022’’ पर भाजपा और आजसू पार्टी द्वारा कई संशोधन देते हुए बिल को प्रवर समिति में भेजने की मांग की गयी। विधायकों ने कहा कि एसटी-एससी को प्रमोशन में आरक्षण देने का मामला हाईकोर्ट में लंबित है और इसे विधानसभा से पारित किये जाने पर अदालत की अवमानना होगी। विपक्षी विधायकों ने बिल में ओबीसी को प्रोन्नति में आरक्षण का प्रावधान नहीं किये जाने पर भी आपत्ति जतायी। परंतु विपक्षी विधायकों की आपत्तियों और प्रवर समिति में भेजने की मांग को स्पीकर ने ध्वनिमत से खारिज कर दिया। इसके बाद भाजपा और आजसू विधायक वेल में आकर नारेबाजी करने लगे तथा ओबीसी के अधिकारों का हनन का आरोप लगाते हुए बिल की कॉपी को फाड़ कर रिपोर्टिंग टेबुल की ओर उछाला।
वहीं संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने विपक्ष की आपत्तियों का जवाब देते हुए कहा कि ओबीसी को प्रोन्नति में आरक्षण देने का प्रावधान नहीं है। ओबीसी को सिर्फ नियोजन में आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि यह लोग ओबीसी के नाम पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। ओबीसी का आरक्षण 27 से 14 प्रतिशत करने वाले यही लोग हैं। .झारखंड में अब परिणामी वरीयता के आधार पर आरक्षित श्रेणी के कर्मचारियों का सामान्य वर्ग के पदों पर प्रमोशन हो सकेगा। इस बिल के पारित होने से लंबे समय से लंबित प्रमोशन का रास्ता साफ हो जाएगा। राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। अभी स्वीकृत पदो की संख्या के मुकाबले एसटी का प्रतिनिधित्व 4.45 प्रतिशत और एससी का 10.04 प्रतिशत है। यह उनकी जनसंख्या का क्रमशः 12 प्रतिशत और 26.2 प्रतिशत से कम है। इसलिए प्रोन्नति में आरक्षण को जारी रखने के लिए यह व्यवस्था की गई है।
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