कहा- दोषी पदाधिकारियों को बचाने की हो रही है कोशिश, चुप नहीं बैठूंगी
रांची। झारखंड मक्ति मोर्चा (झामुमो) विधायक सीता सोरेन ने सीसीएल के आम्रपाली परियोजना सहित अन्य परियोजनाओं में कोयले के परिवहन के लिए अवैध रूप से हो रहे व्यापक पैमाने पर वन भूमि के इस्तेमाल के खिलाफ आज विधानसभा के मुख्य द्वार पर धरना दिया।
सदन की कार्यवाही शुरू होने पर प्रश्नोत्तरकाल के दौरान स्पीकर ने विधायक दीपिका पांडेय सिंह, अम्बा प्रसाद और अर्पणा सेनगुप्ता को धरना पर बैठी विधायक सीता सोरेन को मना कर वापस लाने का निर्देश दिया गया। सदन में आने के बाद सीता सोरेन ने इस मामले को उठाते हुए कहा कि वन भूमि का अधिक्रमण कर कोयले का परिवहनन किया जा रहा है, लेकिन ना तो वन विभाग के दोषी पदाधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई की जा रही है और ना ही सीसीएल के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इस संबंध में जब सदन में सवाल उठाया जाता है, तो संतोषजनक जवाब भी नहीं मिलता, विभाग की ओर से जिन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात बतायी गयी है, उनसभी के खिलाफ अवैध तस्करी से संबंधित दूसरे मामले में कार्रवाई की गयी है, लेकिन वन भूमि के अतिक्रमण मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई हैं। इसलिए सरकार तत्काल वन भूमि क्षेत्र से कोयले के अवैध परिवहन को बंद कराये।
इससे पहले विधानसभा के मुख्य द्वार पर धरना पर बैठी सीता सोरेन ने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि इस मामले में राज्य सरकार अधिकारियों की मिलीभगत से कोयले का अवैध परिवहन किया जा रहा है और जंगलों को काटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह मामला वन विभाग के संज्ञान में आने के बाद भी कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा रही है। कल ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सदन में सरकार की ओर से जो जवाब आया, वह भी असंतोषजनक हैं। उन्होंने कहा कि जल जंगल जमीन के सवाल पर पार्टी चुप नहीं रह सकती और जनता के मुद्दे को लेकर वह संघर्ष जारी रखेंगी।
विधायक सीता सोरेन ने कहा कि चतरा जिले के टंडवा प्रखंड में खाता नं 68 प्लांट संख्या 293 राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार वनभूमि दर्ज हैं। 57 एकड़ मध्य भूमि में से 14 एकड़ वन भूमि दर्ज , लेकिन भी फिर भी खुले आम कोयला ढुलाई करके जंगल को उजाड़ किया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि आम्रपाली खादान से शिवपुर साइडिंग तक का रोड वन विभाग के पदाधिकारियों द्वारा कभी काट दिया जाता है, तो कभी जोड़ दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में दोषी सीसीएल और वन विभाग के पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए और बिना एनओसी अवैध कोयला ढुलाई परिवहन कार्य को तुरंत बंद कराया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्त्तन विभाग द्वारा भी यह स्वीकार किया गया है कि चतरा जिला अंतर्गत नौडीहा मौजा में 2.94 हेक्टेयर अधिसूचित वनभूमि पर वर्ष 2019, 2020 और 2021 में क्रमशः मेसर्स मां अम्बे प्राइवेट लि., मेसर्स रामश्ेवर प्रोजेक्ट प्रा. लि. और मेसर्स आरकेटीसी लि. द्वारा कोयला परिवहन के लिए भारत सरकार की पूर्वानुमति प्राप्त किये बिना भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 29 का उल्लंघन करते हुए सड़क का निर्माण किया गया। इस मामले में सुमित चटर्जी एवं अन्य पांच, टीके राव एवं सुशील कुमार सिंह एवं अन्य दो के खिलाफ जुर्म प्रतिवेदन, ओआर दर्ज किये गये हैं। जबकि ऐसे चार जुर्म प्रतिवेदनों में से दो जुर्म प्रतिवेदनों के संदर्भ में जांचोपरांत अभियोजन प्रतिवेदन अदालत में समर्पित कर दिया गया है और शेष मामले जांच के लिए प्रक्रियाधीन हैं। जब अनियमितता की बात उजागर हो गयी, इसके बावजूद अवैध परिवहन पर रोक नहीं लगाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
विधायक सीता सोरेन ने इससे पहले वर्ष 2021 शीतकालीन सत्र में भी एक तारांकित प्रश्न में सरकार द्वारा यह स्वीकार किया है कि वन विभाग के स्थानीय वन पदाधिकारियों ने 24 सितंबर 2021 को रास्ता अवरूद्ध कर दिया था, परंतु आरकेटीसी के कर्मियों द्वारा अवरूद्ध मार्ग को पुनः भरकर परिवहन कार्य आम्रपाली खदान से शिवपुर रेलवे साइडिंग के लिए चालू कर दिया गया।
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