रांची। झारखंड अनाज और सब्जी उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है, जबकि दूध और अंडा उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में भी तेजी से प्रयास किया जा रहा हैं।
विधायक सरयू राय के एक अल्पसूचित प्रश्न के उत्तर में कृषिमंत्री ने बताया कि वर्श 2020-21 में झारखंड में खाद्यान्न का उत्पादन 72.57 लाख टन हुआ, जबकि 480 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन की दर से राज्य की जनसंख्या 3.29करोड़ के अनुसार कुल खाद्यान्न की आवश्यकता 57.64लाख टन है। इस प्रकार उत्पादन के आधार पर झारखंड आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है। वहीं वर्ष 2020-21 में सब्जी उत्पादन 3784 हजार मैट्रीक टन हुआ। सब्जी की आवश्यकता 2935.80 हजार मैट्रीक टन है। इस प्रकार झारखंड सब्जी उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है। लेकिन झारखंड दूधा तथा अंडा उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है। वर्ष 2020-21 में अंडा उत्पादन 7754.52लाख है, राज्य में वर्ष 2018-19 में कुल दूध उत्पादन 21.83लाख मैट्रीक टन हुआ, यद्यपि वर्ष 2021-22 में 29.13 लाख मैट्रीक टन दूध उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित कर गव्य विकास काय्रक्रमों का क्रियान्वयन किया जा रहा है। जबकि राज्य में दूध की कुल मांग 35.02लाख मैट्रीक टन है। राज्य में दूध उत्पादन एवं दूध की मांग के बीच के अंतर को पाटने के लिए राज्य सरकार द्वारा दूध उत्पादकता में वृद्धि से संबंधित विभिन्न प्रकार की योजनाएं संचालित की जा रही है, ताकि राज्य को दूध उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जा सके।
कृषिमंत्री ने बताया कि वर्त्तमान में ई-नाम से संबंद्ध 19 बाजार समितियों के माध्यम से किसानों को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से कृषि उपज के क्रय-विक्रय के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य में सहकारिता प्रक्षेत्र में शीर्ष सहकारी संस्थाओं द्वारा वेजफेड के माध्यम से रिटेल ऑउटलेट द्वारा फल-सब्जियों की बिक्री के साथ-साथ सहकारी समितियों के माध्यम से दूसरे राज्य के बाजारों में भी भेजा जा रहा है। झाम्फकोफेड और झास्कोलैम्पफ द्वारा भारत सरकार से निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इमली, महुआ और लाह की खरीद कर किसानों को लाभान्वित किया जा रहा है।
कृषि मंत्री की ओर से यह भी जानकारी दी गयी कि राज्य के कृषि उत्पादन बाजार समितियों में भंडारण के लिए लगभग 360 गोदाम है, जिनकी भंडारण क्षमता करीब 4 लाख मैट्रीक टन है।
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