मांडर विधायक और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष की बढ़ेगी मुश्किल या मिलेगी राहत, धड़कनें तेज
रांची। आय से अधिक संपत्ति मामले में रांची व्यवहार न्यायालय स्थित सीबीआई के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत सोमवार 28 मार्च को विधायक बंधु तिर्की पर फैसला सुनाएगी। वर्ष 2019 में मांडर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते विधायक और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की को कल अदालत के फैसले से राहत मिलेगी या मुश्किल बढ़ेगी, इसे लेकर उनके समर्थकों की धड़कने तेज हो गयी है। सीबीआई की विशेष अदालत 6 लाख 28 हजार से अधिक रुपये आय अर्जित करने के मामले में यदि बंधु तिर्की को बरी कर देती है, अथवा दो साल से कम सजा सुनायी जाती है, तो उन्हें बड़ी राहत मिल जाएगी, लेकिन यदि सजा दो साल से अधिक की सुनायी जाती है, तो उनकी मुश्किल बढ़ जाएगी और विधानसभा की सदस्यता भी खत्म हो सकती हैं।
झाविमो टिकट पर चुनाव जीता, कांग्रेस में शामिल
वर्ष 2019 में मांडर विधानसभा क्षेत्र से झारखंड विकास मोर्चा प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते बंधु तिर्की बाद में राज्य में यूपीए की सरकार बनने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गये और अभी उन्हें प्रदेश कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया गया हैं।
मधु कोड़ा सरकार में मंत्री रहने के दौरान भ्रष्टाचार का मामला
पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के कार्यकाल में शिक्षामंत्री रह चुके बंधु तिर्की पर 6 लाख 28 हजार 698 रुपये आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप हैं। पहले इस मामले में एक सामाजिक कार्यकर्त्ता की शिकायत पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, एसीबी में केस दर्ज किया गया। इसके बाद वर्ष 2010 में सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति मामले में कांड संख्या आरसी-5ए/10 के तहत केस दर्ज किया था। इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत में अभियोजन की ओर से 21 तथा बचाव पक्ष की ओर से आठ गवाह पेश किये गये थे।
गिरफ्तारी के बाद 40 दिन जेल में रहे
सीबीआई ने बंधु तिर्की को 12 दिसंबर 2018 को रांची के बनहौरा स्थित आवास से गिरफ्तार भी किया था, लेकिन करीब 40 दिन जेल में रहने के बाद उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी थी। इस मामले में सीबीआई ने 16 जनवरी 2019 को आरोप गठित किया गया था।
क्लोजर रिपोर्ट को अदालत ने किया था रद्द
दिल्ली सीबीआई ने बंधु तिर्की के मामले में जांच की और मई 2013 में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। इसमें कहा गया था कि तिर्की के पास आय से अधिक संपत्ति मिली है। लेकिन संपत्ति इतनी कम है कि सीबीआई उन पर मुकदमा चलाने के पक्ष में नहीं है। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने क्लोजर रिपोर्ट की समीक्षा के बाद सीबीआई के इस पक्ष को अमान्य करार दिया था। अदालत ने कहा कि आरोपी के पास आमदनी के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक राशि है, जो ट्रायल चलाने लायक है।
More Stories
झारखंड खेल नीति 2022 का लोकार्पण, सीएम ने कहा- खिलाड़ियों को न्यूनतम 50 हजार सम्मान राशि मिलनी चाहिए
शिबू सोरेन परिवार ने 250 करोड़ रुपये की 108 परिसंपत्ति का साम्राज्य खड़ा कियाः बाबूलाल
धनबाद एसएसपी की मौन सहमति से कोयले का अवैध खनन-परिवहन धड़ल्ले से जारी-सीता सोरेन