रांची। झारखंड उच्च न्यायालय ने देवघर के त्रिकुट पर्वत रोप-वे हादसे पर स्वतः संज्ञान लिया है ।
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ0 रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले में विस्तृत जांच का आदेश दिया है और सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने मामले में सुनवाई की अगली तिथि 26 अप्रैल निर्धारित की है।
हाईकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने बताया कि वर्ष 2011 में बबलू कुमार द्वारा त्रिकुट पर्वत रोप-वे में अनियमितता की जांच को लेकर एक याचिका दायर की गयी थी। उस वक्त भी हादसा हुआ था, जिसमें 3 लोग चोटिल हुए थे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2009 में गठित टेक्निकल टीम ने भी रोप वे प्रोजेक्ट की वायबिलिटी (क्षमता) पर सवाल उठाये थे। सदस्यों ने माना था कि रोप वे के केबल ट्रॉली में कंपन ज्यादा था। टीम ने बीआईटी मेसरा के मैकेनिकल विभाग के एचओडी, पेयजल मैकेनिकल विंग के इंजीनियर के अलावा रोप वे कंपनी के लोग शामिल थे। बताया गया है कि तत्कालीन वित्त सचिव राजबाला वर्मा ने भी पर्यटन सचिव को पत्र लिखकर पर्यटन स्थल के विकसित करने की योजनाओं पर होने वाले खर्च में अनियमिता की जांच कराने की बात कही थी।
यह भी जानकारी मिली है कि त्रिकुट रोप-वे का संचालन दामोदर नामक कंपनी कर रही हैं, लेकिन हादसे के बाद कंपनी के जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी मौके से भाग गये हैं।
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