रांची। राजधानी रांची के ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर में रथ यात्रा का भव्य आयोजन किया गया और इस रथयात्रा में कोरोना काल के दो वर्ष बाद जनसैलाब उमड़ पड़ा। विष्णु सहस्त्रनाम के जाप के बाद भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ रथ पर सवार होकर अपनी मौसी के यहां पहुंचे ,जहां वे 9 दिनों तक प्रवास करेंगे। 9 दिनों के पश्चात एक बार फिर भव्य रथ में सवार होकर भगवान जगन्नाथ मुख्य मंदिर में वापस लौटेंगे।
रथ यात्रा के पावन अवसर पर राज्यपाल रमेश बैस एवं मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन आज रांची धुर्वा स्थित जगन्नाथ मंदिर पहुंचकर भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा, भाई बलभद्र की विधिवत पूजा-अर्चना की। राज्यपाल ने महाप्रभु जगन्नाथ के दर्शन और पूजा-अर्चना कर देश एवं राज्य की खुशहाली, सुख-समृद्धि, शांति और प्रगति की कामना की। राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि विधिवत मंत्रोच्चार के साथ आज प्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा के चरणों में पूजा-अर्चना करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भगवान जगन्नाथ सभी पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें। राज्यपाल ने राज्यवासियों को रथ यात्रा की शुभकामनाएं दीं।
इस अवसर पर य मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने महाप्रभु जगन्नाथ से राज्यवासियों की सुख,समृद्धि और निरोगी जीवन की कामना करते हुए सभी को रथ यात्रा पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने महाप्रभु जगन्नाथ से प्रार्थना किया कि प्रभु का आशीर्वाद सभी पर बना रहे तथा झारखंड विकास की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करे। मौके पर पंडित श्री राजेश्वर एवं मदन ने विधिवत पूजा का कार्य संपन्न कराया।
इस अवसर पर सांसद संजय सेठ, पूर्व सांसद सुबोध कांत सहाय, विधायक नवीन जायसवाल, विधायक राजेश कच्छप, जगन्नाथ मंदिर के प्रथम सेवक सुधांशु नाथ शाहदेव सहित अन्य गणमान्य एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन के बाद लिया मेला का आनंद
रांची। रांची के जगरनाथपुर में रथ मेला में उमड़े श्रद्धालुओं ने आज भगवान के दर्शन के बाद मेला का आनंद लिया। 10 जुलाई को घुरती रथयात्रा 10 जुलाई को भगवान जगन्नाथ मौसीबाड़ी से फिर रथ पर सवार होकर मुख्य मंदिर लौटेंगे। मुख्य मंदिर पूजा-पाठ के साथ ही मेले की समाप्ति हो जाएगी। घुरती रथ यात्रा के प्रति भी श्रद्धालुओं में खूब आकर्षण रहता है। इस दिन भी बड़ी संख्या में लोग मंदिर परिसर पहुंचते हैं।
सरना आदिवासी समुदाय के लोगों ने विवाह वाले मौर सिराए।
शादियों के मौर रथ मेला के दिन जगन्नाथ मंदिर में सिराने की परंपरा है। मौर सिराने के लिए जगन्नाथ मंदिर के ऊपर और नीचे तथा मौसी बाड़ी में स्थान बनाए गए है। नौ दिन तक निर्धारित स्थान पर मौर सिराए जाएंगे। पुराने विधानसभा से आगे बढ़ते ही मौर सिराते लोग जगह-जगह दिख रहे थ
बारिश की परंपरा
भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा के अवसर पर बारिश की परंपरा रही है। इस वर्ष भी दोपहर से बारिश शुरू हो गई। तेज बारिश के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ। भगवान के दर्शन के लिए खड़े श्रद्धालु और लाक्षार्चना के लिए पंक्तियों में निश्चल इंतजार करते दिखे। मेले में घूम रहे आम लोगों ने अपनी छतरियां खोल लीं, वहीं सावधानी के ख्याल से बिजली वाले झूले बंद किए गए है।
बारिश के बावजूद दर्शन को डटे रहे श्रद्धालु
मेले में इस साल भी जमकर बारिश हो रही है। जगन्नाथपुर मंदिर के पुजारियों के अनुसार भगवान की रथयात्रा के दिन बारिश होना राज्यभर में अच्छी खेती के लिए शुभ संकेत है। बारिश होने से यह पता चलता है कि राज्य में अच्छी पैदावार होगी। मंदिर के मुख्य पुजारी पाढ़ी जी ने बताया कि बारिश आना किसानों के लिए खुशखबरी है। इस साल बारिश और खेती दोनों अच्छी होगीं
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