भूगर्भवेत्ता डॉ. नितिश प्रियदर्शी ने संभावित कारणों के बारे में दी विस्तार से जानकारी
रांची। अगर हम आपसे कहे कि आप सफर कर रहे हो और अचानक से आप 2021 से 2023 में पहुच जाय तो क्या आप इस पर विश्वास करेंगे, नही न, ऐसा ही कुछ होता है रांची से जमशेदपुर जाने वाले मार्ग पर जहां एक विशेष स्थान पर आपके मोबाइल फ़ोन का समय और साल बदल जाता है।
शैक्षणिक टूर पर गये स्कूली बच्चे टाइम जोन बदलने से हो गये थे चिंतित
रांची विश्वविद्यालय के भूगर्भ विभाग के व्याख्याता डॉ0 नितिश प्रियदर्शी ने एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में टाइम जोन बदलने के संभावित कारणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और वैज्ञानिक शोध पर बल दिया। डॉ0 प्रियदर्शी ने बताया कि पिछले कई महीनों से उनके पास इस तरह की घटना को लेकर कॉल आ रहे थे, 20 दिन पहले बच्चों का एक दल स्कूल से उस क्षेत्र में गया था, तो टाइम जोन बदलने को लेकर पैनिक फोन कॉल भी आएं।
मैग्नेटिक चट्टान या पत्थर हो सकता है कारण
डॉ0 प्रियदर्शी ने बताया कि रांची से नजदीक और तैमारा घाटी के पहले नामकुम इलाके के निकट उन्हें खोज में कुछ ऐसे पत्थर बदल मिले हैं, जिससे पता चलता है कि इलाके में मैग्नेटिक चट्टान और पत्थर बहुतायत मात्रा में हैं। संभव है कि तैमारा घाटी में भी इस तरह के पत्थर हो और उसी कारण मोबाइल फोन का टाइम जोन बदल जाता है। हालांकि यह अभी इस पर काफी अनुसंधान किया जाना बाकी है।
चुबंकीय प्रभाव से बदल जाती है कंपाइस के सुई की दिशा
भूगर्भवेत्ता डॉ0 नितिश प्रियदर्शी ने अपने मोबाइल फोन के माध्यम से चुंबकीय प्रभाव को बताने की कोशिश की और उन्होंने यह कर के दिखाया कि जैसे ही चुंबक को मोबाइल फोन के कंपाइस के निकट ले जाया जाता है और उसे दायंे-बाएं किया जाता है, तो कंपाइस के सुई की दिशा बदल जाती है और फिर चुंबक हटाने के बाद कंपाइस की सुई अपने निश्चित जगह पर पहुंच जाती है। संभवतः तैमारा घाटी में भी यही थ्योरी काम करता हो।
बरमूडा ट्रायंगल की तरह यह भी रहस्मय
डॉ0 प्रियदर्शी ने बताया कि बरमूडा ट्रायंगल की तरह ही तैमरा घाटी में भी टाइम जोन बदलना काफी रहस्मयी है, इसके कई कारण हो सकते है, वे इसके वैज्ञानिक कारणों का पता लगाने की कोशिश जरूर करेंगे, लेकिन प्रकृति जिस चीज को छिपाना चाहती है, उसके तह तक जाने की कोशिश कभी भी नहीं की जानी चाहिए,क्योंकि यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
टाइम जोन में करीब डेढ़ साल का अंतर
तैमारा घाटी में यात्रा के दौरान या आसपास में रहने वाले कई लोगों ने यह महसूस किया है कि उनके मोबाइल फोन का टाइम जोन बदल जाता है। डॉ0 प्रियदर्शी बताते है कि टाइम जोन में करीब डेढ़ साल का अंतर दिख रहा है, जनवरी महीने तक उनके पास जिन लोगों ने इस तरह की घटना की जानकारी दी थी,उसमें अगस्त 2023 का टाइम आता था, अब करीब एक महीने से जो बदलाव आ रहा है,उसमें जनवरी 2024 का समय आ रहा है।
तैमारा घाटी में कांपती थी स्ट्रीट लाइट, बंद किया गया
डॉ. प्रियदर्शी ने बताया कि ये भी पता चला कि जहां पर ये घटना हुई, वहां की स्ट्रीट लाइट हमेशा कांपती है, जबकि इन लोगों की कार की स्पीड भी ज्यादा नहीं थी। कई बार चढ़ाव में यह महसूस किया कि कोई उनके वाहन को पीछे से खींच रहा है, जबकि रांची के आसपास इससे भी अधिक कई और चढ़ाव और घाटी वाली सड़क है, वहीं अचानक ब्रेक फेल हो जाना, या गाड़ी बंद हो जान अथवा फिर से स्टार्ट हो जाने की भी घटनाएं सामने आयी है, अक्सर हादसे भी होते रहते हैं।
काल और समय पर आज भी हो रहा है शोध
डॉ0 प्रियदर्शी का कहना है कि कभी-कभी जब कोई नए जगह पर गये, तो वहां लगेगा कि जैसे इस स्थान पर पहले भी आ चुके है। या किसी नये व्यक्ति से कोई मिलता है, तो यह महसूस होता है कि पहले भी उससे मुलाकात हो चुकी है। काल और समय के रहस्य पर आज भी शोध हो रहा है ।
बायोमेट्रिक अटेंडेस में आती है परेशानी
तैमारा घाटी में कस्तूरबा गांधी बालिका बिद्यालय की प्रधान अध्यापिका ने बताया कि बायोमेट्रिक अटेंडेंस बनाना संभव नहीं हो पाता है क्योंकि जब भी वह बायोमेट्रिक अटेंडेंस बनाती हैं तो यह अटेंडेंस 2023 या 2024 का बन जाता है इस कारण से हम अब अटेंडेंस रजिस्टर पर ही बनाया करते हैं। स्कूल की दूसरी शिक्षिका बागेश्वरी कुमारी ने बताया की मोबाइल पर समय बिल्कुल बदल सा जाता है । लॉकडाउन के समय हमें मोबाइल पर 2023 दिख रहा था ,मगर कुछ समय पहले से 2024 दिख रहा है । उस वक्त मोबाइल बिल्कुल काम करना बंद हो जाता है। मोबाइल पर नेट से होने वाला कोई भी फग्सन काम नही करता।
मंदिर के पुजारी का दावा-माता खुद स्त्री बनकर सड़क पर आती
मंदिर के पुजारी का कहना है कि गांव में पूजा पाठ में गड़बड़ी हो जाने पर माता खुद स्त्री का रूप धारण कर सड़क पर आ जाती है ,जिसे बचाने के क्रम में गाड़िया एक्सीडेंट कर जाती जाती है । इस क्षेत्र में मोबाइल का नेटवर्क भी नही रहता।
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