रांची। झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस अमिताभ चौधरी का मंगलवार को निधन हो गया। जेएससीए स्टेडियम के पूर्व अध्यक्ष और रांची के पूर्व एसएसपी रहे अमिताभ चौधरी को आज सुबह अचानक हार्ट अटैक हुआ, जिसके बाद उन्हें आनन-फानन में रांची के सेंटेविटा अस्पताल में भर्ती कराया गया,जहां उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। अमिताभ चौधरी के निधन पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता समेत अन्य नेताओं और संगठनों ने शोक व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने शोक संदेश में कहा कि जेपीएससी के पूर्व अध्यक्ष अमिताभ चौधरी के आकस्मिक निधन की दुःखद खबर मिली। पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ चौधरी ने राज्य में क्रिकेट के खेल को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। परमात्मा दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोक संतप्त परिवार को दुःख की घड़ी सहन करने की शक्ति दे।
अमिताभ चौधरी कुछ दिन पहले ही जेपीएससी के अध्यक्ष पद से रिटायर हुए थे। वे झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के अलावा भारतीय किक्रेट कंट्रोल बोर्ड के उपाध्यक्ष और सचिव भी रह चुके है। एक कुशल खेल प्रशासक के रूप में पूरे देश में उनकी अलग पहचान थी। रांची का जेएससीए स्टेडियम बनवाने में भी उनका सबसे अहम योगदान माना जाता है।
अमिताभ चौधरी की गिनती झारखंड के तेजतर्रार आईपीएस अधिकारियों में होती थी और वे रांची के एसएसपी भी रह चुके हैं। अमिताभ चौधरी ने कल स्वतंत्रता दिवस पर जेएससीए स्टेडियम में राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। रांची में एसएसपी रहने के दौरान उनके कार्यकाल में कई बेमिसाल उपलब्धियां रही। उनकी अगुवाई में रांची में दो कुख्यात अपराधी एनकाउंटर में मारे गये और दो बड़े गैंगस्टर सुरेंद्र बंगाली और अनिल शर्मा को गिरफ्तार किया गया था। जबकि जेपीएससी के चेयरमैन के तौर पर सिविल सेवा की 7वीं से 10वीं परीक्षा का रिजल्ट रिकॉर्ड समय में जारी करने का श्रेय भी उनके नाम रहा।
1985 में आईआईटी खड़गपुर में इंजीनियरिंग करने के बाद यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद अमिताभ चौधरी आईपीएस बने थे और अलग झारखंड राज्य गठन के बाद उन्हें झारखंड कैडर मिला। 2002 में वह बीसीसीआई के सदस्य बने और 2005 में आईपीएस अधिकारी रहते हुए अमिताभ चौधरी ने तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो को हरा कर वह जेएससीए के अध्यक्ष बने। वर्ष 2005-09 तक वे भारतीय क्रिकेट टीम के मैनेजर भी रहे। 2013 में उन्होंने आईपीएस की नौकरी से वीआरएस ले ली। 2014 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा। भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर अमिताभ चौधरी ने बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम से रांची लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
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