November 22, 2024

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द्रौपदी मुर्मू ने नक्षत्र वन में किया था ‘रीठा’ का पौधरोपण, अब यह लहलहा रहा है यह पेड़

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27 नक्षत्रों के अनुरूप अपने गांव-घर के बाहर पेड़ लगाने की परपंरा, मन-मस्तिष्क को मिलती है शांति-समृद्धि
रांची। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू छह साल से अधिक समय तक झारखंड में रही। सूबे की पहली महिला राज्यपाल के रूप में द्रौपदी मुर्मू ने राज्य के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया। उनकी यादें झारखंड के लगभग सभी जिलों से जुड़ी है। राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर रहने के दौरान द्रौपदी मुर्मू ने 5 अक्टूबर 2016 को रांची के नक्षत्र वन में ‘रीठा’ का पौधरोपण किया था, करीब छह वर्ष के अंतराल में यह पौधा अब पेड़ के रूप में लहलहा रहा है। ‘रीठा’ का यह पौधा द्रौपदी मुर्मू ने राजभवन के सामने स्थित नक्षत्र वन में लगाया था, जहां वन विभाग की ओर से सभी पेड़-पौधों की देखभाल की जाती है। ‘रीठा’ का पौधा ‘‘हस्त’’ नक्षत्र का माना जाता है।

घनी आबादी के बीच मानव निर्मित जंगल से सभी  हो जाते है मंत्रमुग्ध
शहर के बीचों-बीच स्थित घनी आबादी के आसपास के क्षेत्र में मानव निर्मित जंगल सभी को आकर्षित करता है। इस जंगल में सभी 27 नक्षत्रों के कई पेड़ के अलावा 40 से अधिक चुनिंदा औषधीय पौधे भी लगाये है। जबकि चिल्ड्रेन पार्क, गार्डन, मानव निर्मित पहाड़ी, वाटरफॉल और म्यूजिकल फाउंटेन बच्चों से लेकर बुजुर्गाे तक को आकर्षित करता है। यहां कई सारे नक्षत्र और हर नक्षत्र राशि चक्र एवं खगोलीय पिंड से जुड़ा है। हिन्हू ज्योतिषियों के अनुसार हर नक्षत्र, औषधीय, सौंदर्यपरक, सामाजिक और आर्थिक मूल्यों वाले वृक्षों से संबंधित है। इस पार्क के बीच एक म्यूजिकल फाउंटेन और एक विशाल बरतन में पारा पानी एकत्र होता है। इसके अलावा पार्क के रास्तों पर फूलों की विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगे हुए हैं, साथ ही पार्क के मध्य में धनवंत्री की सोने की मुद्रा में प्रतिमा बनी हुई है।  

ऩक्षत्र के अनुरूप गांव-घर के बाहर पेड़ लगाने की रही है परंपरा
सभी 27 नक्षत्रों से संबंधित पौधे और पेड़ अलग-अलग है। मान्यता के अनुसार  इनमें 13 नक्षत्रों को सूर्याेदय दिशा और 14 पेड़ को सूर्यास्त दिशा में लगाने से संबंधित व्यक्ति के लिए मन- मस्तिष्क फायदेमंद होता है। यही कारण है कि वर्षाें से ग्रामीण क्षेत्र में बड़े-बुजुर्गाें द्वारा अपनी राशि और नक्षत्र के अनुरूप गांव-घर के बाहर पेड़ लगाने की परंपरा रही है।

सूर्याेदय दिशा के 13 नक्षत्र
पूर्वाषाढ़ नक्षत्र के लिए अशोक का पौधा फायदेमंद है, जबकि उत्तराषाढ़ के लिए कटहल, श्रवण के लिए अकवन, धनिष्ठा के लिए शमी, शतमिषा के लिए कदम्ब, पूर्वा भाद्रपद के लिए आम, उत्तर भाद्रपद के लिए नीम, रेवती के लिए महुआ, अश्विनी के लिए आंवला, भरणी के लिए युग्म वृक्ष, कृतिका के लिए गूलर, रोहिणी के लिए जामुन और मृगशिरा नक्षत्र के लिए खैर का पेड़ है। ये सभी 13 नक्षत्रों के पेड़ को सूर्याेदय दिशा का माना जाता है।

सूर्यास्त दिशा के 14 नक्षत्र
जबकि सूर्यास्त दिशा के भी 14 नक्षत्र है, जिसमें आर्दा नक्षत्र के लिए पाकड़ का पेड़, पुनर्वसु के लिए बांस, पुष्य के लिए पीपल, अश्लेषा के लिए नागकेसर, मघा के लिए बरगद, पुर्वाफाल्गगी के लिए पलास, उत्तराफाल्गुणी के लिए रूद्राक्ष, हस्त के लिए रीठा, चित्रा के लिए बेल, स्वाती के लिए अर्जुन, विशाखा के लिए विककत, अनुराधा के लिए मॉलश्री, ज्येष्ठा के लिए चीड़ और मूल नक्षत्र के लिए साल का पेड़ है।

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