November 22, 2024

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हजारों आदिवासियों का 30 वर्षों का संघर्ष होगा समाप्त

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, नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को अब नहीं मिलेगा अवधि विस्तार
 1964 में शुरू हुआ था नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज
रांची। झारखंड के लातेहार जिले अवस्थित नेतरहाट फील्ड के खिलाफ आदिवासी और अन्य समुदाय के लोग पिछले 30 वर्षाे से संघर्षरत थे। 1664 में शुरू नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को अब राज्य सरकार ने अवधि विस्तार नहीं देने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी इस फायरिंग रेंज के अवधि विस्तार के प्रस्ताव को विचाराधीन प्रतीत नहीं होने के बिन्दु पर अनुमोदन दे दिया है। इससे पहले 1964 में शुरू हुए नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज का तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा 1999 में अवधि विस्तार किया गया था। लेकिन मुख्यमंत्री ने जनहित को ध्यान में रखते हुए नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को पुनः अधिसूचित नहीं करने  के प्रस्ताव पर सहमति प्रदान की है।

39 राजस्व ग्रामों ने राज्यपाल को सौंपा था ज्ञापन
नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के विरोध में लातेहार जिला के करीब 39 राजस्व ग्रामों द्वारा आम सभा के माध्यम से राज्यपालको भी ज्ञापन सौंपा गया था, जिसमें नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज से प्रभावित क्षेत्र के लोगों द्वारा बताया गया था कि लातेहार व गुमला जिला पांचवी अनुसूची के अन्तर्गत आता है। यहां पेसा एक्ट 1996 लागू है, जिसके तहत् ग्राम सभा को संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। इसी के तहत् नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के प्रभावित इलाके के ग्राम प्रधानों ने प्रभावित जनता की मांग पर ग्राम सभा का आयोजन कर नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के लिए गांव की सीमा के अन्दर की जमीन सेना के फायरिंग अभ्यास के लिए उपलब्ध नहीं कराने का निर्णय लिया था। साथ ही नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अधिसूचना को आगे और विस्तार न कर विधिवत् अधिसूचना प्रकाशित कर परियोजना को रद्द करने का अनुरोध किया था।


ग्रामीण 30 वर्ष से कर रहें थे विरोध
नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज से प्रभावित आम जनों द्वारा पिछले लगभग 30 वर्षाे से लगातार नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अधिसूचना को रद्द करने के लिए विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। वर्तमान में भी प्रत्येक वर्ष की भांति नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के विरोध में 22-23 मार्च को विरोध प्रदर्शन किया गया था।

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