रांची। झारखंड आदिवासी कल्याण मंत्री चंपई सोरेन , झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ विधायक स्टीफन मरांडी ,कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सह स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और आरजेडी कोटे से सरकार में मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 9 ए के अंतर्गत हेमन्त सोरेन के सदस्यता रद्द करने की अटकलें लगायी जा रही है। ऐसे मामले में आज तक कभी भी किसी की सदस्यता रद्द नहीं हुई तो फिर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के साथ संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर ऐसा बर्ताव क्यों? इस मौके पर जेएमएम और कांग्रेस के कई विधायक और वरिष्ठ नेता मौजूद थे।
डराने-धमकाने के प्रयास से वे डिगने वाले नहीं
यूपीए नेताओं ने कहा कि सीएम हेमंत सोरेन की सदस्यता को रद्द करने के डराने-धमकाने के प्रयास से डरने वाले नहीं है, वे डरने वाले नहीं है, यह सरकार आंदोलनकारियों के नेतृत्व में बनी है और आंदोलन के माध्यम से आज वे सत्ता में आये हैं।
कनूनी सलाह में विलंब क्यों हो रहा
स्टीफन मरांडी ने कहा गया कि क्या कारण है कि चुनाव आयोग के पत्र पर राज्यपाल ने अभी तक अपना मंतव्य नहीं दिया है? ऐसी क्या कानूनी सलाह है जो वो नहीं ले पा रहे हैं? यह तो सरासर लोकतंत्र और जनता का अपमान है। उन्होंने राज्यपाल से तुरंत संशय दूर करने की मांग की।
राजभवन खरीद-फरोख्त को हवा देना चाहता है?
यूपीए नेताओं ने कहा कि क्या समय काट कर राजभवन विधायकों के खरीद-फरोख्त को हवा देना चाहता हैं? पार्टी ने महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में भी राज्यपाल के पद की गरिमा को गिरते हुए देखा है। यह दुर्भाग्य पूर्ण है। वे किसी की अनुकम्पा पर सरकार में नहीं आये हैं।
झारखंड में एक बाहरी गैंग काम कर रहा
जेएमएम-कांग्रेस और आरजेडी नेताओं ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा गया है कि बड़ा दुखद है कि राज्य में एक बाहरी गैंग काम कर रहा है। नीचे से ऊपर तक बैठे इस गैंग के सभी लोगों में एक समानता है। समानता है। इनके मकसद में झारखण्ड एवं झारखण्ड के लोगों के प्रति इनके मन में थोड़ा सा भी स्नेह नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा एवं इनकी अनुषंगी संस्थाओं को क्या नहीं पच रहा है? एक आदिवासी राज्य का मुख्यमंत्री बना हुआ है वह इन्हें नहीं पच रहा है या वे सभी भारत सरकार से झारखण्ड के हक के लिए लड़ रहे हैं वह इन्हें नहीं पच रहा है।
झुकना जानते है,तो हक के लिए झुकाना भी जानते हैं
यूपीए नेताओं ने बिना किसी का नाम लिये बीजेपी नेतृत्व चेतावनी देते हुए कहा कि वे एक बात कान खोल कर सुन लें कि झारखंडी अगर किसी के सम्मान में झुकना जानता है। तो अपने हक के लिए दूसरों को झुकाना भी जानता है। यूपीए विधायकों ने राज्यपाल से आग्रह किया िकवे अराजक स्थिति की ओर राज्य को धकेलने से बचें। वे राज्यपाल पद के संवैधानिक दायित्व को संभाल रहे हैं, आदिवासी- दलित के अधिकार के संरक्षण का जिम्मा उनके कन्धों पर संविधान ने दिया है।
More Stories
झारखंड खेल नीति 2022 का लोकार्पण, सीएम ने कहा- खिलाड़ियों को न्यूनतम 50 हजार सम्मान राशि मिलनी चाहिए
शिबू सोरेन परिवार ने 250 करोड़ रुपये की 108 परिसंपत्ति का साम्राज्य खड़ा कियाः बाबूलाल
धनबाद एसएसपी की मौन सहमति से कोयले का अवैध खनन-परिवहन धड़ल्ले से जारी-सीता सोरेन