रांची। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास कहा कि हेमंत सोरेन नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार के कार्यकाल मे अब तक जनहित के कोई कार्य नहीं हुए, बल्कि एक से बढ़कर एक कारनामे हुए हैं । रांची में आज पत्रकारों से बातचीत में रघुवर दास ने कहा कि झारखंड में अबुआ राज के बबुआ ने 25 माह के कारनामे में जल जंगल जमीन के नारे की आड़़ में सत्ता में आने के बाद इन्हीं का सौदा कर रहे हैं।
रघुवर दास ने कहा कि झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के 25 माह के कार्यकाल में कार्य नहीं एक से बढ़कर एक कारनामे हुए हैं। जल, जंगल और जमीन के नारे की आड़ में सत्ता पर काबिज होने के बाद वे इन्हीं का सौदा कर रहे हैं। राज्य में बालू, पत्थर, कोयला व खनिज पदार्थों, जंगल कटाई का अवैध धंधा खुलेआम चल रहा है। यह सारा काम राज्य के एक परिवार के संरक्षण में हो रहा है।
सरकार बनने के बाद शुरुआत में सत्ताधारी परिवार में भाई-भाई के बीच तनातनी की खबरें आती रहती थीं। ये खबरें अब कुछ समय से आना बंद हो गयी हैं। इसके पीछे का कारण है काम में बंटवारा। संथाल परगना में बालू व पत्थर का अवैध धंधा एक भाई के जिम्मे आ गया है, वहीं कोयले का अवैध काम दूसरे भाई के संरक्षण में चल रहा है। ये अवैध काम पूरी तरह से संगठित रूप से चल रहा है।
बालू घाटों की बंदोबस्ती
रघुवर दास ने कहा कि वर्तमान सरकार में बालू घाटों की नीलामी के मामले में भी काफी बड़ा घोटाला किया गया है। वर्ष 2019 में भाजपा सरकार के कार्यकाल में राज्य विभिन्न जिलों में अवस्थित बालू घाटों के संबंध में एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट मांगे गए थे और पूरी प्रक्रिया के उपरांत सफल कंपनियों तथा व्यक्तियों के विषय में निर्णय भी लिया जा चुका था। इस बीच सरकार बदल गयी। प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद संबंधित पट्टों का निष्पादन करने के बजाए सभी मामलों को लंबित रखा गया। इसके साथ ही ज्यादातर पार्टियों को उनकी म्डक् की राशि वापस कर दी गई। 25 माह बीत जाने के बाद भी स्थिति यथावत बनी हुई है। ताकि बालू का अवैध उठाव हो सके। बालू माफियाओं ने तो नदियों में बने पुलों को भी बालू हटाकर कमजोर कर दिया है। जिसका उदाहरण पिछले दिनों देखने को मिला। सरकार नहीं चेती तो आनेवाले दिनों में और पुल गिरेंगे। उन्होंने कहा कि दुमका समेत पूरे संथाल परगना में अवैध पासिंग जोन बनाया गया है। अवैध गिट्टी, बालू, कोयला लदे ट्रकों से 4500 रुपये वसूलने के बाद ही दुमका से बाहर जाने दिया जा रहा है। साहेबगंज में मुख्यमंत्री जी के विधायक प्रतिनिधि द्वारा गंगा नदी के जरीए अवैध रूप से पत्थर-बालू का ट्रांसपोर्टेशन धड़ल्ले से किया जा रहा है। इस विधायक प्रतिनिधि का रसूख इतना है कि साहेबगंज में किसी जांच के लिए यदि कोई पदाधिकारी प्रवेश करना चाहता है, तो पहले विधायक प्रतिनिधि को जानकारी देनी होती है।
कोयले की तस्करी में हाथ काले
हेमंत सरकार के कोयले के काले कारोबार में भी हाथ काले हैं। कोयले में माफियाओं का ऐसा नियंत्रण है कि राज्य में सरकारी कंपनियों को भी कोयला नहीं निकालने दिया जा रहा है। कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने भी झारखंड में हो रहे कोयला चोरी पर चिंता जताते हुए इसपर अंकुश लगाने की बात कही। उन्हें कहना पड़ा कि कोयला चोरी से सरकार और कंपनी को नुकसान हो रहा है।
धड़ल्ले से हो रही है पशु तस्करी
दुमका समेत पूरे संथाल परगना में खुलेआम पशु तस्करी की जा रही है। झामुमो के बड़े-बड़े नेता इस धंधे में संलिप्त हैं। संथाल परगना के पशुओं की बांग्लादेश तक तस्करी हो रही है। खुफिया विभाग की मानें, तो संथाल में सबसे ज्यादा पशुओं का अवैध धंधा हो रहा है। सरकार के संज्ञान में यह मामले लाये जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। हाल ही में दुमका के हिंदू संगठनों के विरोध करने पर उनपर झूठे मुकदमे कर दिये गये हैं।
जंगल काटने में आगे
जल, जंगल और जमीन को केवल नारा मानने वाली हेमंत सरकार के राज में जंगलों की भी अवैध कटाई जोरों पर है। लॉकडाउन के समय ही आठ जिलों में अंधाधुंध पेड़ों की कटाई हुई। रांची, चाईबासा का सारंडा जंगल, हजारीबाग, बोकारो, पलामू, जामताड़ा, दुमका व अन्य जिलों में हजारों पेड़ काट कर माफियाओं के द्वारा बेच दिये गये। जंगलों की दुहाई देनेवाले अब अपने बिल में छिप गये हैं। हाल ही में आये भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार झारखंड में वन व झाड़ियों का घनत्व पिछले दो साल में घटा है।
शाह ब्रदर्श का मामला
रघुवर दास ने बताया कि पूर्ववर्ती सरकार के समय कड़ाई करके पुराने अवैध खनन मामले में दंड के रूप में 4000-4500 करोड़ रुपये की राशि सरकारी खजाने में जमा करायी गयी। वहीं वर्तमान सरकार तो उच्च न्यायालय के आदेश की भी धज्जियां उड़ाने से भी परहेज नहीं कर रही है। ताजा मामला शाह ब्रदर्श का है। शाह ब्रदर्स के मामले तो माननीय उच्च न्यायालय डिविजन बेंच के आदेश धज्जियां उड़ाई गई। उच्च न्यायालय ने स्च्। छव. 351 वि 2018 मामले में एक अक्टूबर 2018 को दिये निर्णय के अनुसार उक्त कंपनी को 80 करोड़ रुपए जमा करने और सितंबर 2020 तक पूरी दंड राशि के 250 करोड़ जमा कर देना था। उक्त कंपनी द्वारा मेरे कार्यकाल लगभग 100 करोड़ रुपए जमा कराए गए। शर्तों पूरी नहीं करने के कारण उस कंपनी की माइनिंग लीज हमारी सरकार ने रद्द कर दी।
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