राष्ट्रपति से मिलकर किया हस्तक्षेप का अनुरोध, कुड़मी को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने की मांग
रांची। गिरिडीह के सांसद चंद प्रकाश चौधरी, जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो, पुरुलिया के सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो, और गोमिया के विधायक डॉ. लंबोदर महतो ने आज नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। इन नेताओं ने संयुक्त रुप से राष्ट्रपति को झारखंड सरकार द्वारा राज्य के बोकारो व धनबाद जिले में भोजपुरी, व मगही और अन्य जिले में मैथिली एवं अंगिका को क्षेत्रीय भाषा की सूची में शामिल करने पर चल रहे व्यापक आंदोलन एवं इसको लेकर लोगों में व्याप्त आक्रोश से अवगत कराया और उनसे इन भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाने और झारखंड की 9 जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं को ही क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में शामिल कराने का आग्रह किया। इस क्रम में राष्ट्रपति से झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं उड़ीसा की टोटेमिक कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने आग्रह करते हुए उन्हें इस बात से कराया कि 1913 से 1931 की अधिसूचना में टोटेमिक कुड़मी को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया गया था मगर 1950 में राजनीति कारणों से टोटेमिक कुड़मी को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटा दिया गया। इसको देखते हुए पुनः टोटेमिक कुड़मी अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करना श्रेयस्कर रहेगा। मिलने आए तीनों सांसदों व विधायक ने राष्ट्रपति को झारखंड लोक सेवा आयोग( जेसीएससी) में व्याप्त अनियमितता की बोल बाला की ओर उनका ध्यान आकृष्ट कराया। बताया कि सातवीं लेकर दसवीं जेपीएससी में व्यापक रुप से अनियमितता बरती गयी है। इसका उच्च स्तरीय जांच जरा करा कर भारतीय संविधान के अनुछेद 317 के तहत दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई किया जाना आवश्यक है। राष्ट्रपति को इस बात से भी अवगत कराया गया कि झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग में 1 अगस्त 2021 जो कट ऑफ डेट रखा गया है वह व्यावहारिक नहीं है, इस लिहाज से 2015 के विज्ञापन में निर्धारित कट ऑफ डेट को रखने की जरूरत है। साथ ही राष्ट्रपति को यह भी बताया गया कि झारखंड में पिछड़ी जाति आबादी 55 फीसदी है। ऐसे में पिछड़ी जाति 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। राष्ट्रपति को इन नेताओं ने अलग-अलग ज्ञापन भी सौंपा। राष्ट्रपति ने ध्यान पूर्वक बातों को भी सुना और समुचित कार्रवाई करने को लेकर आश्वस्त भी किया।
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