राज्यपाल ने जल्द ही कानूनी सलाह लेकर स्थिति स्पष्ट करने का दिलाया भरोसा
रांची। झारखंड में उत्पन्न सियासी हलचल के बीच गुरुवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के दस सदस्यीय शिष्टमंडल ने राजभवन से जाकर राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की। यूपीए नेताओं ने सीएम हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में जल्द ही उहापोह की स्थिति स्पष्ट खत्म करने का आग्रह किया।
राजभवन से बाहर निकलने के बाद यूपीए नेताओं ने पत्रकारों को यह जानकारी दी कि जल्द ही उन्होंने इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने का भरोसा दिलाया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा केंद्रीय समिति के सदस्य सुप्रियो भट्टाचार्य, विनोद कुमार पांडेय और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने बताया कि राज्यपाल ने उन्हें यह आश्वासन दिया है कि कानूनी विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करने के बाद जल्द ही वे सारी स्थिति स्पष्ट कर देंगे। यूपीए शिष्टमंडल में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू, जेएमएम के राजमहल सांसद विजय हांसदा, जेएमएम की राज्यसभा सांसद महुआ मांजी और कांग्रेस की चाईबासा सांसद गीता कोड़ा भी शामिल थी।
यूपीए नेताओं की ओर से राज्यपाल को एक ज्ञापन भी सौंपा गया। जिसमें बताया कि स्थानीय एवं राष्ट्रीय प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा 25 अगस्त से राज्यपाल के कार्यालय के सूत्रों का हवाला देते हुए व्यापक रूप से यह प्रसारित किया जा रहा है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत चुनाव आयोग से बरहेट विधानसभा क्षेत्र के विधायक हेमन्त सोरेन और वर्तमान में झारखण्ड राज्य के मुख्यमंत्री को भारत के संविधान के अनुच्छेद 192 (1) के तहत जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9-ए के तहत अयोग्य घोषित करने सम्बन्धी पत्र महामहिम के कार्यालय को प्राप्त हुआ है। इस तरह की खबरों को स्थानीय और राष्ट्रीय प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सनसनीखेज बनाया जा रहा है, जिससे बहुत सारी अनिश्चितता पैदा हो रही है और अफवाहों को बढ़ावा मिल रहा है।
जेएमएम नेताओं ने कहा कि इन सभी समाचारों का राज्यपाल के कार्यालय से लीक होने की सूचना दी जा रही है और यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि राज्यपाल का कार्यालय एक संवैधानिक कार्यालय है और जनता की नजरों में इसके प्रति अत्यंत सम्मान रहता है। तथा राज्यपाल के कार्यालय से झूठी खबरों का निकलना भी सच माना जाता है। यूपीए की ओर से सौंपे गये ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि ऐसे में राज्यपाल के कार्यालय से झूठी अफवाह का प्रसारित होना राज्य में अराजकता और भ्रम की स्थिति पैदा कर राज्य के प्रशासन और शासन को प्रभावित कर रहा है।
ज्ञापन में कहा गया कि यह मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के लिए राजनीतिक द्वेष को भी प्रोत्साहित करता है। यह भी कहा कि राज्यपाल द्वारा चुनाव आयोग से प्राप्त गोपनीय राय को अभी सार्वजनिक किया जाना है, लेकिन राज्य की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी, भाजपा द्वारा मध्यावधि चुनाव, मुख्यमंत्री के इस्तीफे, आदि की मांग सार्वजनिक रूप से की जा रही है। जो कि अवांछित है। वहीं मुख्यमंत्री की अयोग्यता अगर सामने भी आती है तो सरकार पर कोई इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा। क्योंकि झामुमो-कांग्रेस-आरजेडी-निर्दलीय गठबंधन को अभी भी राज्य विधानसभा में प्रचंड बहुमत प्राप्त है। इसलिए यूपीए की ओर से राज्यपाल से आग्रह किया कि इस तरह से प्रसारित किये जा रहे समाचारों की सत्यता उजागर करने का आग्रह करते हैं, जिससे राज्य में फैली भ्रम की स्थिति और लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के असंवैधानिक प्रयास पर विराम लगे। यह भी मांग की गयी कि राज्यपाल चुनाव आयोग से प्राप्त राय (यदि कोई हो) सार्वजनिक करें। राज्यपाल की ओर से त्वरित कार्रवाई लोकतंत्र के उद्देश्य को पूर्ण करेगी। चुनाव आयोग से प्राप्त राय को सार्वजानिक करने में हो रहा विलम्ब राज्यपाल के प्रतिष्ठित कार्यालय के संवैधानिक कर्तव्यों और मूल्यों के विपरीत होगा।
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