January 14, 2025

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विस्थापितों के लिए पुनर्वास आयोग के गठन पर निर्णय जल्द-मुख्यमंत्री

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रांची। झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के छठे दिन आज मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के दौरान पक्ष-विपक्ष की ओर से कई प्रश्न पूछे गये। आजसू पार्टी के प्रमुख सुदेश महतो द्वारा पूछे गये एक नीतिगत प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में विस्थापन बड़ी समस्या है। विस्थापितों की समस्याओं के समाधान को लेकर विस्थापन पुनर्वास आयोग का विषय विचाराधीन है। जिस पर सरकार जल्द निर्णय लेगी । मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में खनन कार्य 50 से 100 वर्षाें से चल रहा है। सरकार से भी जमीन ली गयी, लेकिन इसका मुआवजा अब तक नहीं मिलेगा, राज्य सरकार विस्थापितों की समस्याओं के समाधान को लेकर जल्द ही विस्थापन आयोग के गठन पर निर्णय लेगी।
दूसरी तरफ सुदेश महतो ने कहा कि  वर्षों से राज्य के लगभग डेढ़ लाख विस्थापित परिवार को मुआवजा नहीं मिला है। धड़ल्ले से खनन हो रहा है। उन्होंने बताया कि टंडवा, पतरातू, केरेडारी में 120 दिन से लोग धरना पर बैठे हुए है। महिलाएं सड़क पर खड़ी है। लेकिन विस्थापितों को मुआवजा नहीं मिल रहा है।

जेएसएससी परीक्षा से हिन्दी-अंग्रेजी विषय को नहीं हटाया गया-हेमंत सोरेन
रांची। भाजपा के शशिभूषण मेहता के एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने बताया कि झारखंड राज्य कर्मचारी आयोग द्वारा तृतीय और चतुर्थ वर्ग के पदो ंके लिए ली जानी प्रतियोगिता परीक्षा के लिए हिन्दी और अंग्रेजी को नहीं हटाया गया है। उन्होंने बताया कि जेएसएससी में हिन्दी पहले से ही है। जेएसएससी की मैट्रिक एवं इंटर स्तर पर होने वाली परीक्षाओं में हिन्दी और अंग्रेजी विषय 120 अंकों का पहले से ही निर्धारित है और इसमें उत्तीर्णता का अंक 30 प्रतिशत है, इसलिए इसे दोबारा जोड़ने की जरूरत नहीं हैं। पूर्व में मुख्य परीक्षा में भी हिन्दी की अनिर्वायता की वजह से जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा के लोग छूट जाते थे।  इसलिए मुख्य परीक्षा में भी इसे शामिल करने की जरूरत नहीं हैं। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने अलग-अलग जिलों में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए भाषा का निर्धारित किया है।  मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्षी सदस्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण, भाषा विवाद और स्थानीय नीति पर विवाद खड़ा कर इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।  लेकिन सरकार की यह कोशिश है कि मूलवासी और आदिवासियों को तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग की नौकरियों में आरक्षण मिल सके। सरकार यह कोशिश कर रही है कि कैसे स्थानीय लोगों की अधिक से अधिक भागीदारी सरकारी नौकरियों में सुनिश्चित की जा सके।

आरक्षण प्रावधान पर अध्ययन के बाद फैसला लेंगे-मुख्यमंत्री
रांची। आजसू पार्टी के एक प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य में पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत से घटाकर 14 प्रतिशत किन लोगों ने किया है। पूर्ववर्ती सरकार में सदन के नेता ने भी कहा है कि पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा सकता। जहां तक तमिलनाडु और महाराष्ट्र में आरक्षण का मामला है, तो सरकार का भी प्रयास है कि राज्य में आरक्षण का प्रतिशत बढ़े और सभी को अधिकार मिले। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि अन्य राज्यों में आरक्षण नीति का अध्ययन कर सरकार राज्य की परिस्थिति के अनुरूप जल्द फैसला लेगी।  

अनुबंधकर्मियों के लिए नीति-नियमावली बनायी जा रही है, डीए भी बढ़ा
भाजपा के अनंत कुमार ओझा के एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताया कि राज्य सरकार अनुबंधित  कर्मियों के लिए सेवा शर्त्त नियमावली बनायी जा रही हैं। वहीं विभिन्न विभागों में कार्यरत अनुबंधित एवं संविदा कर्मियों की समस्या समाधान के लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में समिति बनायी गयी हैं। अभी समिति की रिपोर्ट नहीं आयी है, रिपोर्ट मिल जाने के बाद सरकार उचित निर्णय लेगी। दूसरी तरफ अनुबंध कर्मियों के डीए को भी 113 प्रतिशत से बढ़ाकर 196 प्रतिशत कर दिया गया है।

स्थानीय नीति को लेकर उहापोह की स्थिति
इससे पहले पूर्वाह्न 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर भाजपा के विरंची नारायण ने   स्थानीय नीति को लेकर सरकार से जवाब की मांग की। उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में स्थानीय नीति को लेकर आज उहापोह की स्थिति है।  भाजपा ने स्थानीय नीति को लेकर जो कट ऑफ डेट तय किया गया था, उसे हटा दिया गया है, इसलिए लोग यह पूछ रहे है कि स्थानीय कौन।

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