हाल के दिनों में एक राजनीतिक दल के रूप में राज्य में सबसे अधिक कार्यक्रम प्रदेश कांग्रेस की ओर से आयोजित
राची। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और झारखंड प्रभारी अविनाश पांडेय को जिम्मेवारी मिलने के साथ ही प्रदेश कांग्रेस संगठन में बदलाव नजर आने लगा है। पूर्व प्रभारी आरपीएन सिंह के कार्यकाल में प्रभारी का झारखंड आगमन चार-छह महीने में एक बार हुआ करता था और वे जब भी रांची आते थे, तो उनके ईद-गिर्द कुछ कुछेक नेता ही उन्हें घेरे रहते थे और संगठन के कार्यक्रम में उनकी कोई खास दिलचस्पी नहीं होती थी। राज्य में गठबंधन सरकार बनने के बाद आरपीएन सिंह अपने दौरे के क्रम में सिर्फ मुख्यमंत्री और मंत्रियों से मिलने को प्राथमिकता देते थे। कई मौके पर तो आरपीएन सिंह झारखंड प्रवास के दौरान भी प्रदेश कांग्रेस द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बजाय होटल और गेस्ट हाउस में रहकर ही आलाकमान को दिखाने के लिए झारखंड दौरा कर वापस लौट जाते थे।
लेकिन अब प्रदेश कांग्रेस में स्थितियां बदली है। नये प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय लगातार हर छोटे-बड़े नेताओं-कार्यकर्त्ताओं को खुद फोन कर मिलने के लिए बुला रहे हैं और उनकी बातें सुन रहे हैं। अविनाश पांडेय एनएसयूआई और युवा कांग्रेस से होते हुए पार्टी में इतने महत्वपूर्ण पद पर पहुंचे हैं, ऐसे में उन्हें संगठन के आम कार्यकर्त्ताओं की भावना का पता है। यही कारण है कि जब भी उनसे कोई साधारण कार्यकर्त्ता भी मुलाकात के लिए समय मांगता है, तो तुरंत मुलाकात संभव हो जाती है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अविनाश पांडेय के आते ही संगठन की ओर से केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ तथा संगठन को मजबूती प्रदान करने के लिए सदस्यता अभियान की शुरुआत की गयी है। राज्य में लगातार कार्यक्रम हो रहे हैं, ऐसे में संगठन में पद पर काबिज वैसे नेताओं की मुश्किल बढ़ गयी है, जो पहले सिर्फ पद लेकर सत्ता के गलियारों में राजनीति चमका रहे थे। अविनाश पांडेय के काम करने की कार्यशैली इस तरह है कि 31 मार्च को वे दिल्ली में बैठक करते हैं, तो दूसरे ही दिन झारखंड में युवा कांग्रेस के कार्यक्रम में भाग लेने पहुंच जाते हैं। अपने कुछ ही दिनों के कार्यकाल में वे आधा दर्जन से अधिक बार झारखंड का दौरा कर चुके हैं। उनकी सक्रियता से वैसे नेता खासे परेशान है, जिन्होंने पद तो ले लिया था, लेकिन पार्टी के कार्यक्रमों से दूर रहते थे।
अविनाश पांडेय के प्रभारी बनने के बाद राजनीतिक हलकों में इस बात की भी चर्चा है कि पिछले कुछ महीने में राज्य में सबसे अधिक राजनीतिक कार्यक्रम प्रदेश कांग्रेस की ओर से आयोजित किये गये, विधानसभा सत्र के दौरान भी पार्टी की ओर से लगातार कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा, जिसमें तमाम व्यस्तताओं के बीच पार्टी कोटे से सरकार में मंत्री और विधायकगण भी हिस्सा लेते रहे।
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