November 21, 2024

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मध्य प्रदेश की बोमा तकनीक से नीलगायों का होगा संरक्षण, फसल नुकसान पर भी लगेगा अंकुश

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Boma technique retorts legitimise killing of the 'unholy' cow, Blue Bull


रांची। झारखंड सरकार ने भी अब मध्य प्रदेश की तर्ज पर बोमा तकनीक अपनाकर नीलगायों का संरक्षण करने और नीलगायों द्वारा फसलों के नुकसान पर होने वाले नुकसार पर अंकुश लगाने की योजना बनायी हैं।
वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्त्तन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पलामू सहित राज्य के कई हिस्सों में नीलगाय द्वारा फसलों को बर्बाद किया जाता है, जबकि मध्य प्रदेश की सरकार द्वारा दक्षिण अफ्रीका की बोमा तकनीक अपनाकर जहां किसानों की फसल बर्बादी रोकने में सफलता पायी गयी है, वहीं नीलगायों को भी संरक्षित करने का कार्य किया गया हैं। ऐसे में अब वन विभाग ने भी बोमा तकनीक के संबंध में मध्य प्रदेश सरकार से समुचित जानकारी प्राप्त कर झारखंड में भी नीलगाय से प्रभावित क्षेत्रों में बोमा तकनीक को अपनाने और क्रियान्वयन पर विचार किया जा रहा हैं।
वन विभाग के अनुसार पलामू जिले के हुसैनाबाद, हैदरनगर, मोहम्मदगंज, उटारी रोड, विश्रामपुर, छतरपुर प्रखंडों में नीलगाय से लोग परेशान हैं। जिले के किसान कर्ज लेकर खेती करते है, जिसे नीलगायों द्वारा नष्ट कर दी जाती है। वहीं किसान कर्ज नहीं चुका पाने की स्थिति में मानसिक तनाव में रह रहे हैं तथा पलायन के लिए मजबूर हैं। हालांकि विभाग द्वारा किसानों के नष्ट हुए फसलों का वन क्षेत्र पदाध्किारी और अंचलाधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर मुआवजा भुगतान किया जाता हैं। पलामू जिले में वर्ष 2019-20 से वर्ष 2021-22 की अवधि में 1015 किसानों को 95.74लाख रुपये का फसल मुआवजा के रूप में भुगतान किया गया हैं।

क्या है बोमा तकनीक

बोमा तकनीक में वी आकार में बनाए गए स्‍ट्रक्‍चर के पतले हिस्‍से में पिजडा लगाया गया है। ताकि जाली में नीलगाय के इसके अंदर घुसने पर हांका लगाकर उन्‍हें पिजड़े के अंदर ले जाया जा सके।  इस पद्धति नीलगायों को छूने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। इसमें सात से आठ दिन का समय लग सकता है। इससे नीलगाय को भी नुकसान नहीं पहुंचता है और फसल नुकसान होने से भी बच जाता हैं।

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