/विलय किये गये स्कूलों को पुनः पुराने स्वरूप में बहाल करने से इनकार
रांची। झारखंड में पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार ने राज्य के 4096 सरकारी स्कूलों का विलय करने का फैसला किया था। इसके अलावा 527 स्कूलों का अवक्रमण ( ऊपर के क्लास को समाप्त कर स्कूल में सिर्फ नीचे के क्लास का संचालन) करने का निर्णय लिया था। तत्कालीन भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के इस फैसले का विपक्षी दलों ने आलोचना करते हुए इसे अव्यवहारिक और गलत निर्णय बताया था। परंतु भारतीय प्रबंधन संस्थान, रांची से मूल्यांकन कराने के बाद यह साफ हुहा है कि स्कूलों के विलय का उद्देश्य पूरा होता नजर आ रहा हैं।
स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा बताया गया है कि भारतीय प्रबंधन संस्थान से मिली रिपोर्ट के अनुसार जिस उद्देश्यों से स्कूलों का विलय किया गया था, उसमें अधिकांश उद्देश्य विलय से पूर्ण होता पाया गया है। विभाग की ओर से इन खबरों का खंडन किया गया है कि एक बार फिर से स्कूलों के विलय की तैयारी चल रही हैं। शिक्षा विभाग की ओर से विलय किये गये स्कूलों को पुनः पुराने स्वरूप में बहाल करने से भी इनकार किया गया हैं। बताया गया है कि अब ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं हैं।
स्कूली शिक्षा विभाग की ओर से यह भी जानकारी दी गयी है कि भारत सरकार द्वारा शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के मानक के अधीन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए विद्यालय पुनर्गठन की कार्रवाई 9 फरवरी 2018 से शुरू किया गया था। स्कूलों के विलय का फैसला पांच मानकों के आधार पर स्थालीय क्षेत्र निरीक्षण के बाद प्रखंड शिक्षा समिति और जिला प्रारंभिक शिक्षा समिति के अनुमोदन पर किया गया। इसके अंतर्गत 4098 स्कूलों का विलय और 527 स्कूलों का अवक्रमण किया गया। विभाग की ओर से यह भी जानकारी दी गयी है कि उच्च न्यायालय में इस विषय को लेकर चार जनहित याचिका भी दायर की गयी, लेकिन हाईकोर्ट ने जनहित याचिकाओं का निष्पादन करते हुए विद्यालय विलय नीति को सही ठकराया गया। इस मामले में दो याचिकाकर्त्ता पर न्यायालय द्वारा आर्थिक दंड भी अधिरोपित किया गया।
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