October 18, 2024

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राष्ट्रपति पद का चुनाव विचाराधारा की लड़ाई, सभी अंतरात्मा की आवाज पर वोट करें-यशवंत सिन्हा

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आदिवासी अस्मिता और पहचान की बात होती, तो द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति की जगह पीएम पद का उम्मीदवार बनाना चाहिए
रांची। राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने कहां है कि यह चुनाव किसी व्यक्ति या समुदाय की पहचान से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि विचारधारा की लड़ाई से जुड़ा मसला है। उन्होंने कहा कि यदि आदिवासी अस्मिता और पहचान की वजह से ही सिर्फ द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया गया तो वह यह कहना चाहेंगे कि राष्ट्रपति के पास तो शक्तियां कम होती है भाजपा और एनडीए को उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए। उन्होंने चुनाव प्रचार अभियान के अंतिम सभी सांसदों-विधायकों से अंतरात्मा की आवाज पर वोट देने की अपील की।

चुनाव प्रचार अभियान का आखिरी दिन
18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के निर्वाचन के सिलसिले में शनिवार को रांची में कांग्रेस विधायकों और सांसदों के साथ बैठक करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में यशवंत सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए यह उनके प्रचार अभियान का आज आखिरी दिन है। उन्हें बेहद खुशी है कि वे इसे रांची में संपन्न कर रहे है।  अविभाजित बिहार उनकी जन्मभूमि थी और झारखंड उनकी कर्मभूमि है।  

15वें राष्ट्रपति का चुनाव बेहद मुश्किल समय में
यशवंत सिन्हा ने कहा कि नई दिल्ली में नामांकन दाखिल करने के एक दिन बाद उन्होंने 28 जून को केरल से अपना प्रचार अभियान शुरू किया था। तब से उन्हांेने तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, हरियाणा-पंजाब, असम, मध्य प्रदेश और बिहार की यात्रा की है। आज, मतदान से दो दिन पहले, वे झारखंड में इसे समाप्त कर रहे है। उन्हांेने कहा कि भारत के 15वें राष्ट्रपति का चुनाव बेहद मुश्किल समय में हो रहा है। भारतीय गणतंत्र को संविधान की रक्षा के लिए इससे पहले कभी भी एक साथ इतने खतरों का सामना नहीं करना पड़ा। संसदीय लोकतंत्र की व्यवस्था, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम की सबसे अनमोल देन थी, हर दिन नए खतरों का सामना कर रही है। सत्ताधारी दल को सत्ता पर कब्जा करने एवं अपनी ताकत बढ़ाने के करने के लिए संविधान के मूल्यों, आदर्शों और अवरोधों का उल्लंघन करने में कोई शर्म या संकोच नहीं हो रहा है।

 झारखंड में भी जेएमएम-कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने की हो सकती है कोशिश
विपक्षी दलों में दलबदल करवाने और उनके द्वारा चलाई जा रही राज्य सरकारों को गिराने के लिए ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग जैसी एजेंसियों और यहां तक कि राज्यपाल कार्यालय का भी बेशर्मी से दुरुपयोग किया जा रहा है। ऐसा मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गोवा, अरुणाचल प्रदेश और हाल ही में महाराष्ट्र में हुआ है। इसके लिए बेहिसाब धन का इस्तेमाल किया जा रहा है। सार्वजनिक जीवन के अपने लंबे करियर में उन्होंने कभी भी ‘ऑपरेशन लोटस’ को लोकतंत्र के लिए इतना खतरनाक नहीं देखा। अगर निकट भविष्य में झारखंड में झामुमो-कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने के लिए इसी तरह की गंदी रणनीति अपनाई जाए तो उन्हें आश्चर्य नहीं होगा।


कुछ शब्दों को असंसदीय घोषित करना अनुचित
लोकतंत्र पर सबसे ताजा अटैक वो तरीके हैं जिससे सत्तारूढ़ दल संसद सदस्यों के अधिकारों और स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश कर रहा है। ‘भ्रष्ट’, ‘जुमलाजीवी’, ‘विश्वासघात’ जैसे कई शब्दों को असंसदीय घोषित किया गया, जो संसद में स्वतंत्र बहस का मजाक बनाता है। इसके अलावा, सांसदों को अब संसद परिसर के अंदर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने से भी रोक दिया गया है।  


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