रांची। भारत निर्वाचन आयोग ने सीएम हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में सुनवाई पूरी कर ली है। आयोग के फैसले के पहले गठबंधन सरकार की स्थिरता को बरकरार रखने के लिए डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू हो गयी है। सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में यूपीए विधायकों की हुई बैठक में सिर्फ 37 सदस्य ही पहुंचे, जबकि विधानसभा में अभी जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी विधायकों की संख्या 48 है। ऐसे में 11 विधायकों की अनुपस्थिति से पूरी खलबली मच गयी है। हालांकि बैठक से बाहर निकलने वाले यूपीए विधायकों और मंत्रियों की ओर से दावा किया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पद पर बने रहेंगे।
रांची के कांके रोड स्थित सीएम हाउस में हुई बैठक के बाद सबसे पहले बाहर निकले शिक्षामंत्री जगरनाथ महतो ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में सिर्फ इतना ही कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पद पर बने रहेंगे। उनके इस बयान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जगरनाथ महतो के इस बयान का राजनीतिक हलकों में यह तात्पर्य लगाया जा रहा है कि जब तक कानूनी बाध्यता ना हो जाए, हेमंत सोरेन अपने पद पर बने रहेंगे और अंतिम विकल्प में ही हेमंत सोरेन की जगह किसी अन्य को सीएम पद की जिम्मेवारी सौंपे जाने पर विचार होगा।
वहीं कांग्रेस विधायक दल के नेता और ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने बैठक से बाहर निकलने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बैठक में मुख्य रूप से सुखाड़ पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि रांची में इन दिनों जरूर अच्छी बारिश हो रही है, लेकिन संताल परगना और पलामू प्रमंडल की स्थिति बेहद खराब है। बैठक में अपने-अपने क्षेत्र से संबंधित मुद्दों को विधायकों ने उठाया। एक प्रश्न के उत्तर मंे आलमगीर आलम ने कहा कि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट तथा निर्वाचन आयोग के फैसले को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे के ट्वीट पर उन्होंने कोई भी प्रतिक्रिया देने से इंकार करते हुए कहा कि वे ऐसे ही कुछ-कुछ बोलते रहते है। उन्हांेने दावा किया राज्य में फिलहाल महागठबंधन एकजुट है।
कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद ने भी निशिकांत दूबे की ट्वीट पर अनभिज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि जिस तरह से विपक्ष परेशान करने की कोशिश कर रहा है, वैसे मंे सभी विधायकों को इसका डटकर मुकाबला करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि सरकार अभी बहुमत में है, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है। सौहार्दपूर्ण वातावरण में चर्चा हुई और आगे भी मुख्यमंत्री सभी विधायकों के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से बैठक करेंगे।
कांग्रेस विधायक दीपिका सिंह ने भी कहा कि बीजेपी हमेशा से ही सरकार को अस्थिर करने की कोशिश में लगी हुई है, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में यूपीए विधायकों की बैठक समय-समय पर होती रहती है, पहले विधानसभा सत्र के पूर्व इस तरह की बैठक होती थी, आज एक नयी परिपॉटी की शुरुआत हुई है, यह अच्छा कदम है और सभी सदस्य अपनी-अपनी बातों को सरकार के समक्ष रखने का काम करेंगे।
इस मौके पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कह कि चुनाव आयोग का जब तक कोई फैसला नहीं आ जाता, तब तक उस पर चर्चा की कोई खास जरूरत नहीं है, कुछ विरोधियों की ओर से ऐसा माहौल बनाया गया है कि आयोग का फैसला नकारात्मक ही आएगा, जबकि उन्हें उम्मीद है कि चुनाव आयोग का फैसला मुख्यमंत्री के लिए सकारात्मक होगा। इस पर समय आने पर चर्चा होगी, लेकिन जिस तरह से सोशल मीडिया के माध्यम से मुद्दे से ध्यान हटाने की कोशिश की जा रही है, वह दुःखद है, आज की बैठक सुखाड़, बेरोजगार और अन्य ज्वलंत मुद्दों को लेकर बुलायी गयी थी।
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