किसान प्रति हेक्टेयर सलाना पौने चार लाख की कर सकते हैं कमाई
रांची। आबादी बढ़ने के साथ ही दुनिया भर में फर्निचर , पेपर, और अन्य कार्यां के लिए जरुरत बढ़ती जा रही है, वहीं वनों की कटाई से पर्यावरण असंतुलन को लेकर चिंता बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में रांची स्थित वन उत्पादकता संस्थान (IFP) द्वारा विकसित पांच पौधों (plants) को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने किसानों को उपलब्ध कराने और बाजार में बिक्री कराने की मंजूरी प्रदान कर दी हैं।
घर के साजो-सामान, नये फर्नीचर और खिलौने बनाने समेत अन्य कार्यां में ये पौधे अब बड़े सहायक होंगे। रांची स्थित वन उत्पादकता संस्थान के निदेशक सह वरीय वैज्ञानिक डॉक्टर नितिन कुलकर्णी का कहना है कि इन पौधों़ से किसान सालाना प्रति हेक्टेयर सवा तीन लाख से पौने चार लाख की आमदनी कर सकते हैं।
केंद्र सरकार किसानों की आय संवर्धन के लिए निरंतर प्रयासरत है। इसी क्रम में रांची स्थित वन उत्पादकता संस्थान (आईएफपी) द्वारा विकसित पांच पोपलर क्लोन को किसानों को उपलब्ध कराने और बाजार में बिक्री की मंजूरी प्रदान कर दी है।
फर्निचर, प्लाईहुड, कागज बनाने की फैक्ट्री, खिलौने बनाने, पैकिंग और माचिस समेत अन्य कार्यां में उपयोग लाये जाने वाले इस पेड़ से किसान सालाना प्रति हेक्टेयर सवा तीन लाख से पौने चार लाख की आमदनी कर सकते हैं। रांची स्थित वन उत्पादकता संस्थान के निदेशक सह वरीय वैज्ञानिक डॉ. नितिन कुलकर्णी का कहना है कि अच्छी गुणवत्ता वाले पोपलर क्लोन की मदद से किसानों दोगुनी हो सकती हैं।
पोपलर क्लोन विकसित करने वाले संस्थान के वैज्ञानिक डॉक्टर आदित्य कुमार का मानना है कि छह से सात साल में तैयार होने वाले पोपलर क्लोन की वृद्धि सालाना 36 दशमलव दो मीटर से 41 दशमलव एक मीटर है, जो अन्य पेड़ों की तुलना में काफी अधिक हैं। इस पोपलर क्लोन का व्यापारिक नाम क्षितिज, रोहिणी, खुशी, आरंभ और लक्ष्मी रखा गया है। विकसित पौधे जदुआ (हाजीपुर) और आईएफपी रांची की नर्सरी में उपलब्ध हैं।
कई राज्यों ने पोपलर क्लोन की कटाई, छटाई, ढुलाई और परिवहन में छूट दी हैं, जिससे किसान बिना किसी परेशानी से इसे अपनी जमीन पर लगा अन्य फसल की तरह लगा सकते है और इससे मुनाफा कमा सकते हैं।
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