प्रतिदिन 5-7 घंटे की पढ़ाई की, अध्ययन में तन्मयता जरूरी
रांची। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा घोषित यूपीएससी 2021 के परिणाम में झारखंड ने भी परचम लहराया है। झारखंड की श्रुति राजलक्ष्मी को 25वां रैंक मिला है। श्रुति बीएचयू आईआईटी से 2019 में कंप्यूटर साइंस से पास करने के बाद एक वर्ष नौकरी की। फिर स्वयं से तैयारी कर यूपीएससी में सफलता हासिल की है। उसके पिता आनंद कुमार अधिवक्ता है और मां प्रीति रानी समाज कल्याण पदाधिकारी है। उसकी प्रारंभिक शिक्षा लोयला स्कूल रांची में हुई और फिर जमशेदपुर में साइंस टॉपर रही। 12वीं में डीपीएस आरके पुरम दिल्ली से की है।
गरीब बच्चे अपने घर पर ही अच्छी तैयारी कर सकते है
श्रुति राजलक्ष्मी का कहना है कि युवाओं को मौजूदा समय में आईएएस परीक्षा के लिए सिर्फ कोचिंग और अन्य महंगी महंगी पुस्तकें एक खरीदने की जरूरत नहीं है , बल्कि वर्तमान समय में परीक्षा के लिए की तैयारी के लिए कई मटेरियल इंटरनेट पर उपलब्ध है। इसकी सहायता से गरीब बच्चे भी अपने घर में ही रह कर परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं और सफलता हासिल कर सकते हैं। वहीं कई मौकों पर तैयारी करने और पढ़ाई करने वाले छात्रों के मन में यह सवाल उठता है कि उन्हें सफलता मिलेगी या नहीं, लेकिन इन सारी बातों को नजरअंदाज कर सभी अपनी तैयारी में जुटे रहे, सफलता जरूर मिलेगी। उनके मामले में आईएएस की परीक्षा करने के पहले वह बीएचयू से कंप्यूटर साइंस में बी-टेक करने के बाद अच्छी नौकरी कर रही थी और बाद में नौकरी छोड़ कर वह आईएएस परीक्षा की तैयारी में जुटी, तो परिवार का पूरा सहयोग मिला।
5 से 7 घंटे की पढ़ाई पर्याप्त
श्रुति का कहना है कि वह प्रतिदिन वह करीब 5 से 7 घंटे तक पढ़ाई करती थी, लेकिन पढ़ाई करने में सबसे बड़ी बात यह है कि पूरी तन्मयता के साथ अध्ययन किया जाना चाहिए। वह भी ढ़ाई-तीन घंटे के अंतराल में अपनी मां-पिता के अलावा दादा-दादी के साथ समय बिताया करती थी और उनसे बातचीत करने के बाद फिर से पूरा ध्यान लगाकर अपनी तैयारी में जुट जाती थी।
बच्चों को सुविधा देने के साथ उनका मोटिवेशन जरूरी
श्रुति के पिता आनंद कुमार का कहना है कि बच्चांे की पढ़ाई के लिए अभिभावक को सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही उनपर लगातार नजर रखी चाहिए। उनका मानना है कि बच्चों के साथ लगातार बातचीत भी करती रहनी चाहिए और समय-समय पर उनका मोटिवेशन जरूरी है। श्रुति की मां रांची में समाज कल्याण विभाग में कार्यरत है और कार्यालय से निकाल कर वह लगातार अपने बेटियों को पढ़ाई और अन्य उन्हें प्रेरित करने का कार्य करती रहीं।

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