November 22, 2024

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झारखंड की इन तीन बेटियों पर देश को हैं नाज, पीएम मोदी भी कर चुके है हौसलाअफजाई

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गरीबी के कारण सुबह में खाली पेट प्रैक्टिस में जुट जाती थी निक्की
सलीमा ने बांस की खपच्चियों से खेलना शुरू किया था हॉकी  
गांव की गलियों और खेत-खलिहान में हॉकी खेल कर इस मुकाम तक पहुंची संगीता

रांची। झारखंड की बेटियों ने खेल के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा से पूरी दुनिया में देश का नाम रौशन किया है। आगामी 01 से 17 जुलाई तक नीदरलैंड और स्पेन में आयोजित एचआईएच महिला हॉकी वर्ल्ड कप में झारखंड की तीन खिलाड़ी निक्की प्रधान, सलीमा टेटे और संगीता कुमारी का चयन भारतीय महिला हॉकी टीम में हुआ है। इस टीम में शामिल दो सदस्य निक्की प्रधान और सलीमा टेटे पिछले वर्ष टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने वाली टीम की सदस्य रह चुकी है। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन खिलाड़ियों की हौसलाअफजाई की थी।

गरीबी के कारण सुबह में खाली पेट प्रैक्टिस में जुट जाती थी निक्की

अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी बनने के लिए निक्की प्रधान ने बहुत संघर्ष की है। खूंटी जिले में एक गरीब परिवार में जन्मी निक्की के पास हॉकी स्टिक तक नहीं हुआ करती थी तो वह बचपन में बांस से हॉकी स्टिक बना कर खेलती थी। उनके गांव में कोई हॉकी का मैदान भी तब नहीं था, तब वह गांव की गलियों में अन्य बच्चों के साथ हॉकी खेलना शुरू किया और आज शिखर तक पहुंच गयी। निक्की के पिता एक पुलिस कांस्टेबल थे इसलिए तनख्वाह ज्यादा नहीं मिलती थी, निक्की को घर का भी सारा काम करना होता था। वह अपनी मां के साथ खेती में काम करने के साथ ही घर के हर काम में हाथ बंटाती थी। निक्की ने 2006 में गवर्मेंट गर्ल्स हाई स्कूल में ट्रेनिंग सेन्टर जॉइन किया,  इस स्कूल में दो होस्टल थे। एक स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साईं) का हॉस्टल और दूसरा राज्य सरकार का। निक्की का एडमिशन साईं हॉेस्टल में हो गया। इस बीच निक्की ने वर्ष 2010 में 12वीं की परीक्षा पास की, तो स्कूल खत्म होने के बाद लेकिन साल 2008 में उन्हें साई हॉस्टल से निकाल दिया गया। हालांकि प्रिंसिपल और कोच के अनुरोध के बाद उन्हें स्टेट होस्टल में एक बार फिर जगह मिली।  परंतु इस बार हॉस्टल के अंदर सिर्फ रहने के लिए एक कमरा मिला, जहां निक्की खुद खाना बनाती थी। सुबह निक्की ट्रेनिंग के लिए जाती थी इसलिए नाश्ता नहीं बना पाती थी और खाली पेट ही खेलती थी. ट्रेनिंग के बाद वह खाना बनाकर खाती थी। थोड़ा आराम करने के बाद उन्हें फिर ट्रेनिंग के लिए जाना होता था। एक अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए निक्की ने जी तोड़ मेहनत की है और धीरे धीरे कर उनकी मेहनत रंग लायी। साल 2011 में रांची में नेशनल गेम का आयोजन हुआ, निक्की का झारखंड हॉकी टीम में चयन हो गया और झारखंड ने इस टूर्नामेंट में सिल्वर मेडल जीता। ये साल निक्की के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. इसके बाद इसी साल उनका राष्ट्रीय जूनियर टीम में चयन हो गया। इसके बाद वह लगातार आगे बढ़ती रही।  

सलीमा टेटे ने बांस की खपच्चियों से हॉकी खेला शुरू किया
विश्व कप महिला हॉकी टीम के लिए भारतीय महिला हॉकी की सदस्य सलीमा टेटे के संघर्ष की कहानी भी कम रोचक नहीं है। सभी को यह जानकर हैरानी होगी कि भारतीय महिला हॉकी टीम की सदस्य के रूप में शामिल सलीमा टेटे ने बचपन में  बांस की खपच्चियों से हॉकी खेलना शुरू किया। सिमडेगा जिले की रहने वाली सलीमा टेटे के पिता सुलक्षण टेटे का कहना है कि बचपन में उसे बांस की खपच्चियों से ये खेल सिखाया। जब वह स्कूल में थी उसी समय  उसका चयन रांची की टीम के लिए हुआ था।  गांव की माटी से हॉकी की शुरुआत करने वाली सलीमा का पूरा परिवार सिमडेगा जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर बढ़कीछापर गांव में रहता है।  बेटी राष्ट्रीय खिलाड़ी है, फिर भी इस परिवार के पास पक्का मकान तक नहीं है। कच्चे मकान में रहने वाले सलीमा के पिता और भाई खुद हल-बैल से खेती करते हैं। मां गृहिणी है, जबकि सलीमा की महिला भी राज्यस्तरीय हॉकी प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं।  

गांव की गलियों और खेत-खलिहान में हॉकी खेल कर इस मुकाम तक पहुंची संगीता
सिमडेगा जिले के ही केरसई प्रखंड के अंतर्गत करंगागुड़ी नवाटोली गांव की रहने वाली संगीता कुमारी भी कई संघर्षाें के बाद भारतीय महिला हॉकी टीम में पहुंची है। संगीमा की माता लखमनी देवी और पिता रंजीत मांझी आज भी सीमित क्षेत्र में खेती कर परिवार का किसी तरह से गुजर-बसर करते हैं। संगीता गलियों और खेत-खलिहान और फिर स्कूल के छोटे से मैदान में हॉकी सीखकर इस मुकाम तक पहुंची है। वर्ष 2016 के अक्टूबर में सबसे पहले उसका जयन जूनियर हॉकी टीम के लिए हुआ और इस टीम ने अंडर 18 एशिया कप के लिए भारत के लिए कांस्य पदक हासिल किया। बाद में साल 2018 में यूथ ओलंपिक के ठीक पहले संगीता के पैर में सर्जरी हुआ, जिसके कारण वह खेल से कुछ दिनों के लिए दूर हो गयी, लेकिन खेलो इंडिया प्रतियोगिता से पुनर्वापसी करते हुए फिर उसका चयन जूनियन टीम इंडिया के लिए हुआ और 2021 में चिल्ली दौरे के क्रम में उसने 4 गोल अपने नाम की।

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