विधानसभा में सुखाड़ पर विशेष चर्चा
5लाख नया हरा राशन कार्ड , पशुओं की मौत और फसल नुकसान पर मुआवजा
रांची। झारखंड में अल्पवृष्टि से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार की ओर से सभी आवश्यक तैयारियां शुरू कर दी गयी है। सुखाड़ से निपटने के लिए विशेष कार्य योजना बनायी है। विधानसभा के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन द्वितीय पाली में सुखाड़ की उत्पन्न स्थिति पर विशेष वाद-विवाद के बाद सरकार की ओर से सदन को भरोसा दिलाया है कि सुखाड़ से निपटने के लिए विशेष इंतजाम किये गये है।
कृषिमंत्री बादल ने बताया कि सुखाड़ से निपटने के लिए 5 लाख नये ग्रीन राशन कार्ड बनाने का निर्णय लिया गया है। जरूरत पड़ी तो फिर से दीदी किचन की व्यवस्था की जाएगी। सुखाड़ की स्थिति में राज्य सरकार द्वारा तैयार सूखा राहत योजना योजना के तहत जरूरतमंद लोगों को विशेष वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी, इसके तहत प्रति वयस्क को 60 रुपये और बच्चे को 40 रुपये प्रति दिन के हिसाब से एक्सग्रेसिया दिया जाएगा। वहीं फसल क्षति होने पर प्रति हेक्टेयर 6800 रुपये की सहायता दी जाएगी। जबकि बकरी की मौत होने पर 3000 रुपये और गाय-भैंस की मौत होने पर 30 हजार रुपये की सहायत दी जाएगी।
सुखाड़ के मुद्दे पर विशेष वाद-विवाद के दौरान मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी सदस्यों के बहिष्कार के बीच कृषिमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार के मापदंड के अनुरूप के अनुसार सुखाड़ की स्थिति का आकलन मुख्य रूप से पांच बिन्दुओं को ध्यान में रखकर किया जाता है, जिसके तहत वर्षापात की स्थिति, रोपा की स्थिति, फसल का आकलन, ग्राउंट वाटर की स्थिति के अनुरूप फैसला लिया जाता है। कई बिन्दुओं पर अब सेटेलाइट मैपिंग के आधार पर निर्णय लिया जाता है। इसके तहत खरीफ के मौसम में सुखाड़ की घोषणा 30 अक्टूबर तक और रबी मौसम में 31 मार्च तक निर्णय लिया जाता है, लेकिन विशेष परिस्थिति में अगस्त महीने में भी इस मसले पर निर्णय लिया जाता है। राज्य सरकार सारी स्थितियों पर नजर बनाये हुए है और 15 अगस्त तक वर्षापात की स्थिति को ध्यान में रखकर सभी वैकल्पिक और आवश्यक कदम उठाने को लेकर तैयार है।
कृषि मंत्री ने बताया कि झारखंड में मॉनसून के दौरान अब तक लगभग 28 लाख हेक्टयेर भूमि में से मात्र 6.89 भूमि पर रोपाई का काम हो सका है। जबकि पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जिले को छोड़ कर अन्य सभी जिलों में सामान्य से काफी कम बारिश हुई है। परंतु राज्य सरकार किसानों और आमजन की परेशानियों को लेकर संवेदनशील है। वर्ष 2005-06 और वर्ष 2018 में भी राज्य में राज्य में अल्पवृष्टि से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई थी। वर्ष 2018 में राज्य सरकार की ओर से सारी कार्य योजना तैयार कर केंद्र सरकार से सहायता राशि की मांग की गयी, लेकिन तब कोई खास मदद नहीं मिली। उन्होंने बताया कि फिलहाल राज्य सरकार सारी स्थितियों पर नजर बनाये हुए है और 15 अगस्त तक वर्षापत की स्थिति को देखते हुए आवश्यक फैसला लेगी।
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